आपको कंपनी से मेडिकल की सुविधा मिल रही है तब भी जरूरी है हेल्थ इंश्योरेंस | इस मामले में आत्मनिर्भर रहना बहुत जरूरी




टूडेन्यूजलैब | कोरबा
दवाईयों और अस्पताल का खर्च लगातार बढ़ रहा है और एक आम आदमी या कंपनी में जॉब करने वाले व्यक्ति के लिए मेडिकल इमरजेंसी में इन खर्चों को पूरा करना लगभग असंभव है। अलग-अलग कंपनियां अपने कर्मचारियों को मेडिकल इंश्योरेंस का कवर देती हैं। 



हालांकि, कंपनी की तरफ से मिलने वाली मेडिकल इंश्योरेंस पॉलिसी का कवर बहुत ज्यादा नहीं होता, वहीं इसकी वैधता भी तब तक ही होती है, जब तक आप कंपनी में बने रहते हैं।  कंपनी छोड़ते ही आपको पॉलिसी का कोई लाभ नहीं मिलता। मतलब आपने जिस दिन कंपनी छोड़ी, आपकी पॉलिसी भी उसी दिन खत्म हो जाएगी। 


ऐसा देखा गया है कि कई कर्मचारी कंपनी के हेल्थ इश्योरेंस पर ही निर्भर रहते हैं। उनका खुद का कोई पर्सनल हेल्थ कवर नहीं होता है। ऐसे में हम कह सकते हैं कि उनकी और उनके परिवार की सेहत की गारंटी तब तक है जब तक वह व्यक्ति जॉब में है। जॉब छोड़ने के बाद कंपनी उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेगी। जॉब छोड़ने के बाद अगर आप नई हेल्थ इश्योरेंस पॉलिसी लेते भी हैं, तो उसमें वेटिंग पीरियड की समस्या आ जाती है, जहां आपको पॉलिसी का लाभ लेने के लिए एक से तीन साल तक का इंतजार करना पड़ेगा। उस दौरान आप और आपका परिवार असुरक्षित है। अगर कोई मेडिकल इमरजेंसी आती है, तो उसके भारी खर्चो का बोझ आपके ऊपर ही पड़ेगा। ऐसे में आपको वित्तीय संकट का सामना करना पड़ सकता है। 


इससे बचाव के तरीके की बात करें तो अधिकारियों व कर्मचारियों को कंपनी की हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ-साथ एक अलग से हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ले लेनी चाहिए, ताकि जब आप जॉब छोड़े, तो दूसरी पॉलिसी हमेशा आपके साथ रहे। इसके लिए आप पर्सनल हेल्थ कवर ले सकते है या फैमिली फ्लोटर हेल्थ इंश्योरेंस भी ले सकते हैं। 

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