Old Pension Scheme | पेंशन को लेकर सरकारी कर्मचारियों को जल्द मिलेगी बड़ी खुशखबरी | फिर से लागू होगी ओल्ड पेंशन स्कीम! | इसे लागू करने के पीछे ये हैं बड़े कारण





 
रायपुर (टूडेन्यूज लैब) | न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) की जगह ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) लागू करने को लेकर सरकार पर भारी दबाव है। वहीं कुछ राज्यों ने इसे लागू कर केंद्र सरकार के दबाव को और बढ़ा दिया है। आने वाले चुनाव को देखते हुए भी अनुमान लगाया जा रहा है कि सरकार जल्दी ही ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने की घोषणा कर सकती है या इसके बीच का कोई रास्ता निकालेगी ताकि कर्मचारियों की नाराजगी को दूर किया जा सके।

एनपीएस को समर्थक बता रहे सही

सरकार के पक्ष में बात कर करने वाले लोग न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) को सही बताने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे। जबकि हकीकत में जिन रिटायर्ड कर्मचारियों को एनपीएस के तहत पेंशन मिलनी शुरू हुई है वह बहुत कम हैं। इसे देख भी सरकारी कर्मचारी एनपीएस के विराध में खड़े हो गए हैं। 

विधायक सांसदों को मिल रही पुरानी पेंशन

एनपीएस की सुविधा से विधायक सांसद अलग हैं। उन्हें ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत ही पेंशन का भुगतान हो रहा है। ऐसे में कर्मचारियों का कहना है कि जब एनपीएस इतना ही बेहतर है तो विधायक-सांसद इससे बाहर क्यों है। वो क्यों नहीं इसे अपने ऊपर लागू करते।  
 


सरकारी कर्मचारियों की संख्या भी बड़ी वजह

वैसे तो देश में सरकारी कर्मचारियों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं है। मगर राज्य और केंद्र दोनों के सरकारी कर्मचारी और उनके आश्रितों की संख्या को मिला दिया जाए तो यह संख्या बहुत बड़ी हो जाती है। केंद्र के करीब 33 लाख कर्मचारी और अलग अलग राज्यों के करीब 3 तीन करोड़ कर्मचारी को टोटल करेंगे तो यह आंकड़ा करीब साढ़े तीन करोड़ हो जाता है। एक कर्मचारी के पीछे तीन आश्रित भी मानकर चलते हैं तो परिवार सहित कर्मचारियों की संख्या करीब 8 से 9 करोड़ हो जाती है। ऐसे में चुनाव से पहले इन्हें खुश करना सरकार के लिए बहुत जरूरी हो जाएगा। 

ओपीएस लागू करने में आगामी चुनाव की भूमिका

केंद्र सरकार आने वाले 2024 चुनाव को देखते हुए भी ओपीएस लागू करने का फैसला ले सकती है। सरकार को पता है कि सरकारी कर्मचारियों को नाराज कर सत्ता में बने रहना आसान नहीं होगा। सरकारी कर्मचारियों और उनके आश्रितों की बड़ी संख्या किसी भी सरकार को लाने और हटाने में महत्पूर्ण भूमिका अदा करती है।
   

विकास की रफ्तार होगी धीमी 

ओपीएस नहीं लागू करने को लेकर केंद्र सरकार का तर्क है कि इससे विकास कार्यों की रफ्तार धीमी हो जाएगी। इसे देने से सरकारी खजाने का एक बड़ा हिस्सा साल 2035 तक खाली हो जाएगा। ओपीएस देना भारत के भविष्य के लिए सही नहीं है। वहीं केंद्रीय कर्मचारी ओपीएस को फिर से लागू करने की बात पर अड़े हुए हैं और इसे लेकर जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे हैं। कुछ राज्यों ने ओपीएस लागू कर दिया है। इसमें राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब, हिमाचल और झारखंड शामिल हैं। वहीं हरियाणा में जहां बीजेपी की सरकार है वहां भी कर्मचारियों के विराध प्रदर्शन को देखते हुए सरकार ने ओपीएस को लेकर विचार करने की बात कही है। यह सब देखते हुए यह माना जा रहा है कि केंद्र सरकार जल्द ही ओपीएस लागू करने की घोषणा करेगी।  




ओल्ड पेंशन स्कीम में मिलने वाली सुविधा

ओर्ल्ड पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों उनके अंतिम वेतन का 50% पेंशन के रूप में मिलता है। यह समय के साथ डीए बढ़ने पर और बढ़ता जाता था। इसके भुगतान के लिए कर्मचारियों के वेतन से किसी तरह कटौती नहीं होती, बल्कि सरकारी ट्रेजरी यह रकम चुकाती है। इस स्कीम में 20 लाख रुपए तक की ग्रेच्युटी भी मिलती है। वहीं पेंसनर्स की मौत के बाद उसके परिवार को पेंशन की राशि मिलती है।



 

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