Satyanarayan Baba (Raigarh) | मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया सत्यनारायण बाबा का दर्शन | जानिए कौन हैं सत्यनारायण बाबा और क्यों है उनकी ख्याति





रायपुर (Todaynewslab.com) | मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायगढ़ स्थित बाबा धाम पहुंचकर सत्यनारायण बाबा का आशीर्वाद प्राप्त किया और प्रदेश के सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की।

जानिए कौन हैं सत्यनारायण बाबा 

12 जुलाई 1984 को जन्में सत्यनारायण बाबा को छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्की अलग-अलग राज्यों के बहुत सारे लोग जानते हैं और उनके दर्शन को देश ही नहीं विदेशों से भी लोग आते हैं। बाबा हमेशा तपस्या में लीन रहते हैं। बाबा 1998 से इस जगह पर तप कर रहे हैं। इस दौरान किसी भी मौसम का इनपर असर नहीं होता। बाबा 24 घंटे ऐसे ही बैठे रहते हैं। धूप, बरसात, ठंड या किसी भी मौसम में बाबा ऐसे ही दिखते हैं। सत्यनारायण बाबा का मूल निवास देवरी डूमरपाली गांव है। इनके पिता का नाम दयानिधी और माता का नाम हंसमती है। दोनों ने अपने बेटे का नाम प्यार से हलधर रखा था। पिता इन्हें सत्यनारायण के नाम से बुलाते थे। 


सत्यनारायण बाबा की पहचान शिव भक्त के रूप में

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के सत्यनारायण बाबा ना केवल लोगों के लिए आस्था के ही प्रतीक है, बल्कि विज्ञान को भी चुनौती दे रहे हैं। रायगढ़ सिटी से करीब 6 किलोमीटर की दूरी पर कोसमनारा गांव ना केवल छत्तीसगढ़ में बल्कि पूरे देश में प्रसिद्ध है। रायगढ़ के लोगों के अनुसार कोई भी मौसम हो बाबा सत्यनारायण इसी तरह तप में लीन रहते है। सत्यनारायण बाबा को श्रद्धालु शिव भक्त भी मानते हैं। यहां बाबा के दर्शन को आने वालों की संख्या लाखों में है। स्पेशल मौकों पर यहां विशेष आयोजन होते हैं, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं।


बोलते नहीं हैं सत्यनारायण बाबा

सत्यनारायण बाबा को शिव का भक्त बताया जाता है। जब वो तप करने बैठे उसी दौराना उन्होंने अपने जिभ को काटकर एक पत्थर (जिसे वो शिव का रूप मानकर) के सामने चढ़ा दिया और तप करने लगे। अब बाबा को कुछ कहना होता है तो वो इशारा से कहते हैं या पर्ची पर लिखकर देते हैं। लोगों का कहना है कि सत्यनारायण बाबा बचपन से ही भगवान शिव के भक्त हैं, वे गांव में स्थित शिव मंदिर में सात दिनों तक लगातर तपस्या करते रहे। 16 फरवरी 1998 को हलधर घर से स्कूल के लिए निकले और अपने गांव से करीब 18 किलोमीटर दूर कोसमनारा नामक गांव में तप करने बैठ गए। इसी दिन से बाबा एक पत्थर को शिवलिंग मानकर अपनी जीभ को अर्पित कर शिव भक्ति के तपस्या में लीन हो गए। यहीं से उनके सत्यनारायण बाबा बनने की कहानी शुरू हुई। और उस दिन से लेकर आज तक बाबा उसी स्थान पर बैठकर तप में लीन हैं। 

बाबा की अनुमती से धुनि प्रज्वलित की

एक सप्ताह बाद एक सेवक द्वारा शिवलिंग के पास बाबा की अनुमती से धुनि प्रज्वलित की गई। उस स्थान पर तब से लेकर आज तक अखंड धुनी जल रही है। पहले बाबा जमीन पर बैठ कर ही तप कर रहे थे, लेकिन भक्तों द्वारा चबुतरा बनवाया गया, और भक्तों के आग्रह पर बाबा अब उसी चबुतरा में बैठ कर तप में लीन हैं। शुरू में बाबा की तपस्या को लोग नहीं मानते थे। लोगों के साथ-साथ प्रशासन ने भी बाबा को तप से हटाने का प्रयास किया, मगर वो ऐसा कर नहीं पाए। वहीं, बाबा की तपस्या को देखकर लोगों की भीड़ बढ़ती गई और बाबा की 24 घंटे देखरेख होने लगी।
 

बाबा की जनकारी आसानी से उपलब्ध

अब सत्यनारायण बाबा की जानकारी के कई वीडियो और लेख आपको सोशल मीडिया और इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। देश के बड़े बड़े न्यूज चैनलों द्वारा बाबा के ऊपर स्टोरी की गई है। अब बाबा की ख्याति ऐसी हो गई हैं बड़े बड़े राजनेता, अधिकारी से लेकर आम श्रद्धालु इनसे दर्शन को आते हैं।

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