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इस पोस्ट में छत्तीसगढ़ में स्थित प्रमुख मां महामाया मंदिर और शक्तिपीठों की बात करेंगे। नवरात्र का पावन पर्व शुरू हो चुका है। नवरात्र में माता के दर्शन के लिए मंदिरों में भक्तों की भीड़ जुटने लगी है। कोविड 19 को देखते हुए इस साल ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन माता के दर्शन की सुविधा भी होगी। दोनों वैक्सीन की डोज लगवा चुके लोगों को नवरात्र में आसानी से माता के दर्शन हो पाएंगे। प्रदेश के अलग-अलग जिलों में प्रशासन द्वारा इस संबंध में गाइडलाइन जारी कर दी गई है। प्रदेश के अलग-अलग जिलों में स्थापित माता के मंदिर इस प्रकार हैं-
दंतेवाड़ा के डंकिनी और शंखिनी नदी के संगम पर दंतेश्वरी मां का मंदिर है। यह एक प्राचीन मंदिर है, जो 32 लकड़ी के खंभों पर टिका हुआ है। मंदिर के गर्भगृह में दंतेश्वरी मां की छह भुजाओं वाली प्रतिमा विराजित है। काले ग्रेनाइट से बनी मां की प्रतिमा बहुत भव्य है। मंदिर में माता के चरण चिन्ह भी मौजूद हैं। दंतेश्वरी मां बस्तर की कुलदेवी हैं। भारत सहित दुनिया में दंतेश्वरी मंदिर की पहचान शक्तिपीठ के रूप में है। कोरोना संक्रमण को देखते हुए नवरात्र 2021 में श्रद्धालू दंतेश्वरी मंदिर में माता के दर्शन कर सकेंगे। मंदिर समिति ने इसकी घोषणा की है। 9 दिनों तक चलने वाले नवरात्र में किसी तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों और लगने वाले मेले की अनुमति प्रशासन ने नहीं दी है।
मां बम्लेश्वरी देवी मंदिर, डोंगरगढ़, राजनांदगांव
डोंगरगढ़ में पहाड़ी की चोटी पर मां बम्लेश्वरी देवी का मंदिर है। 1600 फीट की ऊंचाई पर स्थित मंदिर करीब 2000 साल पुराना है। मां के दर्शन के लिए भक्तों को करीब 1000 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं। भक्तों के लिए यहां पर रोपवे की सुविधा भी उपलब्ध है। पहाड़ी के नीचे भी माता छोटी बम्लेश्वरी मां का मंदिर है। पूरे छत्तीसगढ़ सहित दूसरे राज्यों से भी भक्त माता के दर्शन को आते हैं।
मां महामाया मंदिर, रतनपुर, बिलासपुर
बिलासपुर के रतनपुर में सिद्ध शक्तिपीठ मां महामाया देवी का मंदिर है। मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में राजा रत्नदेव प्रथम ने कराया था। नागर शैली में बने मंदिर का मंडप 16 स्तंभों पर टिका हुआ है। गर्भगृह में माता की दुर्लभ साढ़े तीन फ़ीट की प्रतिमा स्थापित है। माता के पिछले भाग में माता सरस्वती की प्रतिमा है, जो विलुप्त मानी जाती है। मनोकामना पूरी होने, सुख-शांति और समृद्धि के लिए यहां बलि दिए जाने की प्रथा है। पूरे छत्तीसगढ़ से श्रद्धालु माता के दर्शन को रतनपुर आते हैं।
मां महामाया मंदिर, पुरानी बस्ती, रायपुर
राजधानी रायपुर के पुरानी बस्ती में स्थित मां महामाया मंदिर एक प्राचीन मंदिर है। माता का यह ऐतिहासिक मंदिर बहुत चमत्कारिक माना जाता है। तांत्रिक पद्धति से बने इस मंदिर के गर्भगृह में मां महामाया मां काली के स्वरूप में विराजमान हैं। मंदिर में भक्तों को मां महालक्ष्मी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। मां महामाया के दर्शन के लिए भक्तों को मंदिर के गर्भगृह के मुख्य द्वार से थोड़ा तिरछा खड़ा होना होता है। मंदिर प्रांगण में मां महामाया मंदिर के सामने मां समलेश्वरी देवी का मंदिर है। समलेश्वरी माता को मां सरस्वती का स्वरुप माना जाता है। मां महामाया मंदिर देश का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां लाल भैरव और काल भैरव के दर्शन होते हैं। मां महामाया के दर्शन के लिए श्रद्धालु देश ही नहीं विदेशों से भी रायपुर आते हैं।
मां महामाया मंदिर, अंबिकापुर
अंबिकापुर शहर के पूर्व में महामाया मंदिर स्थित है। यह एक शक्तिपीठ स्थल है। देवी दुर्गा को समर्पित इस मंदिर में मां महामाया की मूर्तियां दूसरी और तीसरी शताब्दी की हैं. महामाया मंदिर के सामने समलेश्वरी मंदिर स्थित है। माता के दर्शन को पूरे छत्तीसगढ़ से श्रद्धालु आते हैं।
चंद्रहसिनी देवी मंदिर, जांजगीर चांपा
जांजगीर चांपा के डभरा तहसील में महानदी, मांड और लात नदी के संगम पर चंद्रपुर में मां चंद्रहासिनी देवी का मंदिर है। इस मंदिर की गिनती शक्तिपीठों में होती है। मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालु मां को बलि के रूप में बकरे और मुर्गी की बलि देते हैं। महानदी के उस पार जाकर आप नाथल दाई के दर्शन भी कर सकते हैं। माता के दर्शन के लिए पूरे छत्तीसगढ़ से श्रद्धालु पहुंचते हैं।
बंजारी माता मंदिर, रायगढ़ : रायगढ़ में स्थित बंजारी माता मंदिर एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह भक्तों की मनोकामना पूरी होती है।
कंकाली माता मंदिर, रायपुर : शमशान के ऊपर बना कंकाली मंदिर रायपुर के लोगों के लिए आस्था का केंद्र है। यहां एक मंदिर भक्तों के लिए साल में एक बार खुलता है। मंदिर से लगा हुआ प्राचीन तालाब कई रहस्यों को समेटे हुए है।
खल्लारी माता मंदिर, भीमखोज, महासमुंद : भीमखोज गांव में पहाड़ी की चोटी पर माता का मंदिर स्थित है। महाभारत से जुड़े साक्ष्य भी यहां देखने को मिलते हैं। भीम पांव, भीम चुल से निशान यहां बने हुए हैं। पहाड़ी के नीचे भी छोटी खल्लारी माता का मंदिर बना हुआ है।
चंडी माता मंदिर, बागबाहरा, महासमुंद : मंदिर में हर दिन माता के दर्शन और प्रसाद खाने के लिए भालू आते हैं जो पूरे प्रदेश में विशेष चर्चा का विषय है। इन्हें देखने और प्रसाद खिलाने के लिए दूर-दूर से लोग चंडी माता के दरबार में आते हैं।
मां मड़वारानी मंदिर, कोरबा : पहाड़ी की चोटी पर मां मड़वारानी के दर्शन होते हैं। मां आस-पास के गांवों की रक्षा करती हैं। पहाड़ी के नीचे भी सड़क किराने माता का एक मंदिर है, जहां से गुजरने वाले माता के दर्शन करते हैं।
मां भवानी मंदिर, कोरबा : कोरबा के लोगों के लिए यह बेहद खूबसूरत और खास मंदिर है। माता के दर्शन को श्रद्धालु यहां आते रहते हैं। हर दिन शाम के समय यहां भजन आरती होती है।
बंजारी माता मंदिर, रायपुर : बंजारों की कुल देवी कही जाने वाली माता को बगलामुखी के नाम से भी जाना जाता है। माता जहां स्थापित हैं वहां कभी भूमि बंजर हुआ करती थी इसलिए माता को बंजारी माता के नाम से जाना जाता है। यहां भक्तों की मनोकामना पूरी होती है।
सर्वमंगला माता मंदिर, कोरबा : माता के दर्शन से श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी होती है। यहां मनोकामना वृक्ष में लोग नारियल बांधकर अपनी मन्नते मांगते हैं।
मां महिषासुर मर्दिनी मंदिर, चैतुरगढ़ : चैतुरगढ़ का किला और यहां की प्राकृतिक सुंदरता देखने आने वाले पर्यटक माता के दर्शन जरूरी करते हैं। माता की प्रसिद्धी पूरे छत्तीसगढ़ में है।
सिया देवी मंदिर, बालोद : जंगल के बीच बना यह मंदिर रामायण काल से जुड़ा हुआ बताया जाता है। यह सुंदर झरना और सकरी गुफा है। माता के दर्शन के साथ ही गुफा देखने के लिए लोग यहां आते हैं।
शीतला माता मंदिर, सिहावा, धमतरी : सिहावा धमतरी में स्थित माता शीतला भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं।
शीतला माता मंदिर, नहरपारा, रायपुर : नहरपारा स्थित शीतला माता का मंदिर आस-पास के लोगों के लिए आस्था का केंद्र है।
काली माता मंदिर, तिफरा, बिलासपुर : न्यायधानी में तिफरा मार्ग पर काली माता का प्राचीन मंदिर स्थित है। नवरात्र में यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है।
मरही माता मंदिर, बिलासपुर : प्राकृतिक सुंदरता के बीच स्थित यह मंदिर आस-पास के लोगों के लिए आस्था का केंद्र है। नवरात्र में यहां विशेष-पूजा अर्चना होती है।
चंपई माता मंदिर, महासमुंद : छत्तीसगढ़ में चंपई माता मंदिर भी एक प्रसिद्ध मंदिर है।
बगदई माता मंदिर, रायपुर : रायपुर में बगदई माता मंदिर एक प्रसिद्ध मंदिर है।
कौशल्या माता मंदिर, चंदखुरी, रायपुर : 16 करोड़ की लागत से मंदिर का जीर्णोद्वार का काम हुआ है। अब मंदिर पहले से और भव्य और सुंदर हो गया है।
बिलाई माता मंदिर, धमतरी : मंदिर के गर्भ गृह में माता की प्रतिमा सीधी नहीं है। यही इस मंदिर की खासियत है।
महामाया मंदिर, महासमुंद : नवरात्र में महासमुंद के मां महामाया मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना होती है।
गंगा मैया, बालोद : झलमला गांव में स्थित गंगा मैया की प्रसिद्धि पूरे छत्तीसगढ़ में है।
मां अंगार मोती मंदिर, धमतरी : गंगरेल बांध के किराने स्थित यह मंदिर कभी बांध के डूबान एरिया में था। माता के दर्शन को श्रद्धालु पूरे प्रदेश से यहां आते हैं। खास कर बांध घूमने आने वाले लोग माता के दर्शन करना नहीं भूलते।
डिंडेश्वरी माता मंदिर, बिलासपुर : माता के दर्शन से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है। मंदिर के गर्भगृह में स्थापित काले पत्थर से बनी माता की प्रतिमा बहुत सुंदर दिखाई देती है।
करेला भवानी मंदिर, राजनांदगांव : करेला गांव में स्थित यह मंदिर प्राकृतिक सुंदरता से घिरा है। आस-पास ऊंचे ऊंचे पहाड़ी देखने को मिलते हैं।
मां जतमई मंदिर, गरियाबंद : माता को वन देवी के नाम से भी जाना जाता है। प्राकृतिक सुंदरता से घिरा यह मंदिर आस-पास वालों के आस्था का केंद्र है। यहां सुंदर वॉटरफॉल भी देखने को मिलता है।
मां घटारानी मंदिर, गरियाबंद : जंगल और पहाड़ों के बीच स्थित यह मंदिर आस-पास वालों के लिए आस्था का केंद्र है। यहां खूबसूरत वॉटरफॉल देखने को मिलता है। वॉटरफॉल देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं।
मुंगई माता मंदिर, महासमुंद : पहाड़ और घने जंगलों से घिरे इस मंदिर में भी भालू प्रसाद खाने के लिए आते हैं। इन्हें देखने के लिए विशेष रूप से लोग यहां आते हैं।
मां पाताल भैरवी मंदिर, राजनांदगांव : मंदिर के गर्भ गृह में मां काली के दर्शन होते हैं। मंदिर की प्रसिद्धि बर्फानी धाम के नाम से भी है।
सिद्धि माता मंदिर, बेमेतरा : नवरात्र के समय माता के दर्शन करने वालों की संख्या बहुत बढ़ी जाती है। कई श्रद्धालु संतान प्राप्ति के लिए माता के दरबार में हाजरी लगाते हैं।
सिद्धि माता मंदिर, बेमेतरा : नवरात्र के समय माता के दर्शन करने वालों की संख्या बहुत बढ़ी जाती है। कई श्रद्धालु संतान प्राप्ति के लिए माता के दरबार में हाजरी लगाते हैं।
समलेश्वरी माता मंदिर, जांजगीर चांपा : समलेश्वरी माता मा मंदिर एक प्रसिद्ध मंदिर है।
बूढ़ी माई मंदिर, रायगढ़ : रायगढ़ के लोगों की आस्था मंदिर से जुड़ी हुई है। नवरात्र में यहां विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
कुदरगढ़ देवी माता मंदिर, सूरजपुर : मन्नत मांगने वाले श्रद्धालुओं की मंदिर में भीड़ लगती है। मंदिर के बाहर नीम के पेड़ पर नारियल बांधकर श्रद्धालु मन्नत मांगते हैं।
खुड़िया रानी मंदिर, जशपुर : पहाड़ और जंगल से घिरा यह मंदिर आस-पास वालों के लिए आस्था का केंद्र है। यहां माता के दर्शन और प्राकृतिक सुंदरता को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
- चांद देवी माता मंदिर, कोरिया
- तुरतुरिया माता मंदिर, बलौदा बाजार
- मां महामाया मंदिर, दल्लीराजहरा
- मां महामाया मंदिर, पाटन
- मां महामाया मंदिर, कुम्हारी
- त्रिमूर्ति मां महामाया मंदिर, दुर्ग
- भद्रकाली माता मंदिर, बेमेतरा
- समलेश्वरी माता मंदिर, सारंगढ़
- शिवानी माता मंदिर, कांकेर
- लवन महामाया मंदिर, बलौदा बाजार
- श्री मावली माता मंदिर, भाटापारा
- शीतला माता मंदिर, पुरानी बस्ती थाना, रायपुर
- बमलेश्वरी माता मंदिर, सेक्टर 9, भिलाई
- मां भद्रकाली मंदिर, बेमेतरा
- चंडी मंदिर, अभनपुर
- नाथल दाई माता मंदिर, रायगढ़
- अष्ठभुजी माता मंदिर, जांजगीर चांपा
- रुद्रेश्वरी माता मंदिर, सरायपाली
- मां कांकेशवरी मंदिर, कांकेर
- मां कारी पाठ मंदिर, राजनांदगांव
- मां भुवनेश्वरी मंदिर, डोंगरीगढ़, मुंगेली
- मां मनका दाई मंदिर, खोखरा, जांजगीर
- चितावर दाई माता, भालुकोना
- मां काली मंदिर, सारंगगढ़
- शबरीमाता मंदिर, शिवरीनारायण, जांजगीर चांपा
- तेलीन सत्री माता मंदिर, कोंडागांव
- शीतला माता मंदिर, राजनांदगांव
- गंडई माता मंदिर, राजनांदगांव
- मां बंजारी धाम, खपरी, तिल्दा
- चंडी माता मंदिर, दुर्ग
- हिंगलाज माता मंदिर, सूतियापाठ, कवर्धा
- कोसगाई माता मंदिर, कोरबा
- छत्तीसगढ़ महतारी माता मंदिर, कुरुद, धमतरी