Hello Everyone
इस पोस्ट में जांजगीर चांपा जिले में स्थित पर्यटक स्थलों की बात करेंगे। जांजगीर को कलचुरी वंश के महाराजा जाज्वल्य देव की नगरी कहा जाता है। जिले में चंद्रहासिनी देवी मंदिर, विष्णु मंदिर, क्रोकोडायल पार्क, शिवरीनारायण का शबरीमन्दिर यहां के प्रमुख प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है।
माँ चंद्रहासिनी मंदिर कैसे जाएं
![]() |
माँ चंद्रहासिनी। |
जांजगीर से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर मां चंद्रहासिनी देवी का मंदिर स्थित है। रायगढ़ से यह मात्र 32 किलोमीटर की दूरी पर है। सारंगढ़ से 22 किलोमीटर की दूरी पर जांजगीर चांपा के डभरा तहसील में महानदी, मांड नदी और लात नदी के संगम पर चंद्रपुर में मां चंद्रहासिनी देवी का मंदिर है। यह 52 शक्तिपीठों में गिना जाता है। नवरात्र में यहां ज्योति कलश की स्थापना की जाती है। श्रद्धालु मनोकामना पूरी होने पर मां को बलि के रूप में बकरे और मुर्गी की बलि देते हैं। यहां आने वाले भक्तों को यहां बने हुए समुंद्र मंथन और महाभारत से जुडी झांकियां बहुत पसंद आती हैं। मंदिर के सामने भगवान जगन्नाथ का भी मंदिर है। यह भी बहुत भव्य बना हुआ है। मंदिर के बगल से महानदी बहती है। महानदी के उस पार जाकर आप नाथल दाई के दर्शन भी कर सकते हैं। सड़क मार्ग से यहां पहुंचा जा सकता है। वर्तमान में ज्यादातर सड़कों की स्थिति अच्छी नहीं है। ट्रेन एक अच्छा विकल्प है, जिसके माध्यम से रायगढ़ पहुंचकर वहां से बाय रोड मंदिर तक पहुंच जा सकता है।
विष्णु मंदिर कैसे जाएं
![]() |
विष्णु मंदिर, जांजगीर। |
जांजगीर शहर के पुरानी बस्ती में विष्णु मंदिर स्थित है। 12वीं सदी में हैह्य वंश के राजाओं द्वारा इसका निर्माण करवाया गया था। मंदिर का निर्माण अधूरा है। यह दो अलग-अलग हिस्सों में बना है। दोनों हिस्से जमीन पर ही स्थित हैं और आस पास ही पड़े हैं। मंदिर की दिवारों पर सुंदर कलाकृति देखने को मिलती है। दीवारों पर बनी देवी-देवताओं की प्रतिमा पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। जानकारी के अनुसार मंदिर पूरा नहीं बन पाने के पीछे एक कहानी बताई जाती है, जो इस प्रकार है- शिवरीनारायण के शबरीनारायण मंदिर और जांजगीर के विष्णु मंदिर में पहले बनने को लेकर एक प्रतियोगिता थी। इसमें शिवरीनारायण मंदिर का निर्माण पहले हो गया। इस कारण भगवान वहीं विराजित हो गए और जांजगीर के विष्णु मंदिर को अधूरा ही छोड़ दिया गया। यह मंदिर आज भी उसी स्थिति में है। विष्णु मंदिर के बगल में भीमा तालाब भी है। प्रशासन द्वारा इसका सौन्दर्यीकरण कर इसे संवारा गया है। तालाब में स्पीट बोट और बोटिंग की सुविधा है। बच्चों के मनोरंजन के लिए फिसलपट्टी, झूला इत्यादि लगे हैं। तालाब के कुछ हिस्से में फव्वारे भी लगाए गए हैं। आकर्षक लाइटिंग से तालाब को सजाया गया है। यहां शाम को स्थानीय लोगों की भीड़ होती है।
शिवरीनारायण | शबरीनारायण कैसे जाएं
![]() |
शिवरीनारायण मंदिर। |
जांजगीर शहर से करीब 32 किलोमीटर की दूरी पर शिवरीनारायण स्थित है। महानदी, शिवनाथ नदी और जोंक नदी के संगम पर स्थित यह नगरी पूरे भारत में प्रसिद्ध है। छत्तीसगढ़ का इसे गुप्त प्रयाग भी कहते हैं। भगवान राम ने इसी स्थान पर शबरी के हाथों से उनके जूठे बेर खाए थे। इसी कारण इस स्थान को शबरीनारायण भी कहा जाता है। यहां केशव नारायण का भी मंदिर है जो 11वीं से 12वीं शताब्दी के बीच का है। मंदिर प्रांगण में कई अन्य मंदिर हैं। प्रांगण से बाहर एक बड़ा गौशाला भी है। यह स्थान पहले बैकुंठपुर, विष्णुपुरी और नारायणपुर के नाम से भी प्रचलित था। महानदी के तट पर महेश्वर महादेव और शीतला माता का भव्य मंदिर है। जानकारी के अनुसार इसका निर्माण 1890 में हुआ था। सड़क मार्ग से यहां पहुंचा जा सकता है। नजदीकी रेलवे स्टेशन जांजगीर और चांपा हैं।
क्रॉकोडायल पार्क कोटमी सोनार कैसे जाएं
![]() |
क्रोकोडायल पार्क, कोटमी सोनार। |
छत्तीसगढ़ का पहला क्रॉकोडायल पार्क जांजगीर चांपा जिले के कोटमी सोनार में स्थित है। चांपा शहर से करीब 35 किलोमीटर और बिलासपुर से करीब 32 किलोमीटर की दूरी पर क्रॉकोडायल पार्क स्थित है। सोमवार को पार्क बंद रहता है। पार्क के अंदर 80 एकड़ में फैला एक तालाब है। इसी तालाब में 300 से ज्यादा मगरमच्छ रहते हैं। तालाब को मुड़ा तालाब के नाम से जानते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने मई 2006 में इसका उद्घाटन किया था। तालाब में मगरमच्छों की अधिकतम लम्बाई 12 फ़ीट है। देश का यह तीसरा सबसे बड़ा क्रॉकोडायल पार्क है, जहां पर बहुत सारे मगरमच्छ एक साथ रहते हैं। पर्यटन स्थल के रूप में विकसित इस पार्क में हर दिन सैकड़ों लोग घूमने आते हैं। जगह जगह पर मगरमच्छों को कुछ न खिलाने के बोर्ड लगे हुए हैं। पार्क में बच्चों के मनोरंजन का भी विशेष ध्यान रखा गया है। उनके लिए झूला, फिसलपट्टी, वॉच टावर और पाथ-वे बनाये गए हैं। पार्क में साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखा गया है। कचरा डालने के लिए जगह जगह डस्टबिन रखे गए हैं। सड़क मार्ग से यहां पहुंचा जा सकता है. नजदीकी रेलवे स्टेशन कोटमी सोनार है।
यह भी पढ़ें:- Ambikapur me ghumne ki jagh
यह भी पढ़ें:- Korba jile me ghumne ki jagh
यह भी पढ़ें:- Baster me ghumne ki jagh
यह भी पढ़ें:- Raigarh jile me ghumne ki jagh