Janjgir Champa jile me ghumne ki jagh | 52 शक्तिपीठों में एक है मां चंद्रहासिनी मंदिर | विष्णु मंदिर की क्या है खास बात

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इस पोस्ट में जांजगीर चांपा जिले में स्थित पर्यटक स्थलों की बात करेंगेजांजगीर को कलचुरी वंश के महाराजा जाज्वल्य देव की नगरी कहा जाता हैजिले में चंद्रहासिनी देवी मंदिर, विष्णु मंदिर, क्रोकोडायल पार्क, शिवरीनारायण का शबरीमन्दिर यहां के प्रमुख प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है

माँ चंद्रहासिनी मंदिर कैसे जाएं

माँ चंद्रहासिनी।

जांजगीर से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर मां चंद्रहासिनी देवी का मंदिर स्थित हैरायगढ़ से यह मात्र 32 किलोमीटर की दूरी पर हैसारंगढ़ से 22 किलोमीटर की दूरी पर जांजगीर चांपा के डभरा तहसील में महानदी, मांड नदी और लात नदी के संगम पर चंद्रपुर में मां चंद्रहासिनी देवी का मंदिर हैयह 52 शक्तिपीठों में गिना जाता हैनवरात्र में यहां ज्योति कलश की स्थापना की जाती हैश्रद्धालु मनोकामना पूरी होने पर मां को बलि के रूप में बकरे और मुर्गी की बलि देते हैंयहां आने वाले भक्तों को यहां बने हुए समुंद्र मंथन और महाभारत से जुडी झांकियां बहुत पसंद आती हैं। मंदिर के सामने भगवान जगन्नाथ का भी मंदिर हैयह भी बहुत भव्य बना हुआ हैमंदिर के बगल से महानदी बहती हैमहानदी के उस पार जाकर आप नाथल दाई के दर्शन भी कर सकते हैंसड़क मार्ग से यहां पहुंचा जा सकता हैवर्तमान में ज्यादातर सड़कों की स्थिति अच्छी नहीं हैट्रेन एक अच्छा विकल्प है, जिसके माध्यम से रायगढ़ पहुंचकर वहां से बाय रोड मंदिर तक पहुंच जा सकता है

विष्णु मंदिर कैसे जाएं

विष्णु मंदिर, जांजगीर।

जांजगीर शहर के पुरानी बस्ती में विष्णु मंदिर स्थित है। 12वीं सदी में हैह्य वंश के राजाओं द्वारा इसका निर्माण करवाया गया थामंदिर का निर्माण अधूरा हैयह दो अलग-अलग हिस्सों में बना हैदोनों हिस्से जमीन पर ही स्थित हैं और आस पास ही पड़े हैं। मंदिर की दिवारों पर सुंदर कलाकृति देखने को मिलती हैदीवारों पर बनी देवी-देवताओं की प्रतिमा पर्यटकों को आकर्षित करती हैं  जानकारी के अनुसार मंदिर पूरा नहीं बन पाने के पीछे एक कहानी बताई जाती है, जो इस प्रकार है- शिवरीनारायण के शबरीनारायण मंदिर और जांजगीर के विष्णु मंदिर में पहले बनने को लेकर एक प्रतियोगिता थीइसमें शिवरीनारायण मंदिर का निर्माण पहले हो गयाइस कारण भगवान वहीं विराजित हो गए और जांजगीर के विष्णु मंदिर को अधूरा ही छोड़ दिया गयायह  मंदिर आज भी उसी स्थिति में हैविष्णु मंदिर के बगल में भीमा तालाब भी है। प्रशासन द्वारा इसका सौन्दर्यीकरण कर इसे संवारा गया हैतालाब में स्पीट बोट और बोटिंग की सुविधा हैबच्चों के मनोरंजन के लिए फिसलपट्टी, झूला इत्यादि लगे हैंतालाब के कुछ हिस्से में फव्वारे भी लगाए गए हैंआकर्षक लाइटिंग से तालाब को सजाया गया हैयहां शाम को स्थानीय लोगों की भीड़ होती है

शिवरीनारायण | शबरीनारायण कैसे जाएं

शिवरीनारायण मंदिर।

जांजगीर शहर से करीब 32 किलोमीटर की दूरी पर शिवरीनारायण स्थित हैमहानदी, शिवनाथ नदी और जोंक नदी के संगम पर स्थित यह नगरी पूरे भारत में प्रसिद्ध हैछत्तीसगढ़ का इसे गुप्त प्रयाग भी कहते हैंभगवान राम ने इसी स्थान पर शबरी के हाथों से उनके जूठे बेर खाए थेइसी कारण इस स्थान को शबरीनारायण भी कहा जाता हैयहां केशव नारायण का भी मंदिर है जो 11वीं से 12वीं शताब्दी के बीच का हैमंदिर प्रांगण में कई अन्य मंदिर हैं। प्रांगण से बाहर एक बड़ा गौशाला भी हैयह स्थान पहले बैकुंठपुर, विष्णुपुरी और नारायणपुर के नाम से भी प्रचलित थामहानदी के तट पर महेश्वर महादेव और शीतला माता का भव्य मंदिर हैजानकारी के अनुसार इसका निर्माण 1890 में हुआ थासड़क मार्ग से यहां पहुंचा जा सकता है। नजदीकी रेलवे स्टेशन जांजगीर और चांपा हैं।

क्रॉकोडायल पार्क कोटमी सोनार कैसे जाएं

क्रोकोडायल पार्क, कोटमी सोनार।

छत्तीसगढ़ का पहला क्रॉकोडायल पार्क जांजगीर चांपा जिले के कोटमी सोनार में स्थित हैचांपा शहर से करीब 35 किलोमीटर और बिलासपुर से करीब 32 किलोमीटर की दूरी पर क्रॉकोडायल पार्क स्थित हैसोमवार को पार्क बंद रहता है। पार्क के अंदर 80 एकड़ में फैला एक तालाब हैइसी तालाब में 300 से ज्यादा मगरमच्छ रहते हैंतालाब को मुड़ा तालाब के नाम से जानते हैंपूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने मई 2006 में इसका उद्घाटन किया थातालाब में मगरमच्छों की अधिकतम लम्बाई 12 फ़ीट हैदेश का यह तीसरा सबसे बड़ा क्रॉकोडायल पार्क है, जहां पर बहुत सारे मगरमच्छ एक साथ रहते हैंपर्यटन स्थल के रूप में विकसित इस पार्क में हर दिन सैकड़ों लोग घूमने आते हैं। जगह जगह पर मगरमच्छों को कुछ खिलाने के बोर्ड लगे हुए हैंपार्क में बच्चों के मनोरंजन का भी विशेष ध्यान रखा गया हैउनके लिए झूला, फिसलपट्टी, वॉच टावर और पाथ-वे बनाये गए हैंपार्क में साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखा गया हैकचरा डालने के लिए जगह जगह डस्टबिन रखे गए हैंसड़क मार्ग से यहां पहुंचा जा सकता है. नजदीकी रेलवे स्टेशन कोटमी सोनार है।

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