इस पोस्ट में जंगल, पहाड़ और नदियों से घिरे कोरबा जिले में पर्यटन के लिए फेमस जगहों की बात करेंगे। इसमें सतरेंगा पिकनिक स्पॉट, बांगो बांध, बुका जलविहार, देवपहरी, केंदई वॉटरफॉल, चैतुरगढ़ का किला, सर्वमंगला मंदिर, मड़वारानी मंदिर, कांकी व कुदुरमल की जानकारी है। इन जगहों पर सड़क मार्ग से आसानी से जाया जा सकता है।
Korba jile me ghumne ki jagh | कोरबा जिले में घुमने की जगह
सतरेंगा पिकनिक स्पॉट
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सतरेंगा में स्पीड बोट को एंजॉय करते पर्यटक। |
सतरेंगा पिकनिक स्पॉट बांगो डैम के किनारे बसा है। यह कोरबा के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल में से एक है। स्टेट गवर्नमेंट ने करोड़ों खर्च कर इसे डेवलप किया है।
यहां वॉटर स्पोर्ट्स के साथ फ्लोटिंग रेस्टोरेंट व रूकने के लिए गेस्ट हाउस की सुविधा है। डैम की लहरें समुद्र की लहरों जैसी लगती हैं। कोरबा शहर से सतरेंगा करीब 34 किलोमीटर की दूरी पर है। सड़क मार्ग से सतरेंगा पहुँचा जा सकता है। सतरेंगा जाने वाली सड़क ख़राब हाल में है। आपको रास्ते में परेशानी होगी।
हसदेव नदी पर बना बांगो बांध
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बांगो बांध। |
कोरबा से करीब 50 किलोमीटर दूर हसदेव नदी पर बना बांगो बांध है। यह छत्तीसगढ़ का सबसे लंबा और चौड़ा डैम है। जलभराव का क्षेत्रफल लगभग 6730 वर्ग किलोमीटर है।
यह मिनीमाता बांध नाम से भी जाना जाता है। बांध की ऊंचाई 86 मीटर और लंबाई 555 मीटर है। बांध में 11 गेट बने हुए हैं। यहां 120 मेगावाट बिजली का भी उत्पादन होता है। बांध को देखने के लिए पूरे छत्तीसगढ़ से पर्यटक आते हैं। सड़क मार्ग से सतरेंगा पहुंचा जा सकता हैं।
बुका जलविहार कोरबा
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बुका जलाशय में कई टापू भी हैं। |
देवपहरी वॉटरफॉल कोरबा
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देवपहरी वॉटरफॉल। |
कोरबा से करीब 58 किलोमीटर उत्तर पूर्व में चौराणी नदी के किनारे देवपहरी स्थित है। यहां पर कुछ मन्दिरों के अवशेष भी हैं जो 12वीं शताब्दी के बताये जाते हैं।
यहां पास में ही नकिया झरना है। देवपहरी कोरबा के प्रसिद्ध घूमने की जगह में से एक है। पानी के प्रवाह से यहां के पत्थर चिकने हो गए हैं। यहां घूमने के लिए पूरे छत्तीसगढ़ से लोग आते हैं। आप यहां सड़क मार्ग से पहुंच सकते हैं।
केंदई वॉटरफॉल कोरबा
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केंदई वॉटरफॉल का सुंदर नजारा। |
कोरबा शहर से करीब 85 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है केंदई गांव। पिकनिक के लिए फेमस यह गांव बिलासपुर अंबिकापुर हाईवे पर है। यहां एक झरना है
जो केंदई वॉटरफॉल के नाम से जाना जाता है। यह 75 फीट की ऊंचाई से नीचे गिरता है। इसकी सुंदरता देखते ही बनती है। पिकनिक मनाने के लिए बिलासपुर, कोरबा, जांजगीर चांपा से लोग यहां आते हैं। सड़क मार्ग से यहां पहुंचा जा सकता है।
चैतुरगढ़ का किला कोरबा
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चैतुरगढ़ का पौराणिक महत्व है। |
कोरबा शहर से 70 किलोमीटर की दूरी पर चैतुरगढ़ का किला स्थित है। इसकी गिनती ऐतिहासिक स्थलों के रूप में की जाती है। पर्यटन के लिए यह शानदार जगह है।
जानकारी के अनुसार इस किले का निर्माण राजा पृथ्वीराज देव ने करवाया था। इस जगह का अपना पौराणिक महत्व है। महिषासुर मर्दिनी को समर्पित एक मंदिर भी यहां स्थित है।
किले की ऊंचाई से भव्य नजारा दिखता है। सड़क मार्ग से यहां पहुंचा जा सकता हैं।
सर्वमंगला मंदिर कोरबा
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कोरबा शहर का प्रसिद्ध सर्वमंगला मंदिर। |
हसदेव नदी के तट से लगा हुआ है कोरबा शहर का प्रसिद्ध सर्वमंगला मंदिर। मां दुर्गा को समर्पित इस मंदिर में छोटे बड़े कई अन्य मंदिर हैं। इसमें करीब 500 साल पुराना वट वृक्ष भी है, जिसे मनोकामना वृक्ष के रूप में जाना जाता है।
मंदिर का निर्माण जमीदार राजेश्वर दयाल के पूर्वजों द्वारा करवाया गया था। यहां एक गुफा भी है जो नदी के नीचे जाती है और दूसरी तरफ निकलती है। रानी धनराज कुंवर देवी इस गुफा का उपयोग मंदिर आने जाने के लिए करती थीं। सड़क मार्ग से सर्वमंगला मंदिर पहुंचा जा सकता है।
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मड़वारानी मंदिर कोरबा
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जांजगीर चांपा हाईवे पर स्थित मां का मंदिर। |
कोरबा से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर मड़वारानी देवी का मंदिर है। कोरबा चांपा रोड पर स्थित यह मंदिर आसपास के लोगों के लिए श्रद्धा का बड़ा केंद्र है।
पहाड़ी की चोटी पर स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए करीब 5 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई करनी पड़ती है, जो रोमांच से भरा है। यहां से आसपास का भव्य नजारा दिखता है।
मंदिर तक कार, मोटरसाइकिल से जाया जा सकता है। पास में मड़वारानी रेलवे स्टेशन भी है। मड़वारानी देवी के दो मंदिर बने हुए हैं। प्रमुख मंदिर पहाड़ी की चोटी पर है
जबकि दूसरा कोरबा चांपा रोड पर बना है। सड़क से गुजरने वाले लोगों के लिए इस मंदिन का निर्माण किया गया है ताकि भक्त यहीं से माता के दर्शन कर सकें।
कांकी धाम कोरबा
कांकी धाम। |
हसदेव नदी के तट पर स्थित कांकी एक गांव है। यह धार्मिक स्थान के नाम से जाना जाता है। यहां कनकेश्वर महादेव मंदिर है। उरगा से यह 12 किलोमीटर की दूरी पर है।
1857 ईसवी के आसपास कोरबा के जमींदारों ने इसे बनवाया था। कांकी गांव जंगलों से घिरा हुआ है और यहां कई तालाब भी हैं। कोरबा से कांकी की दूरी करीब 28 किलोमीटर है। यहां सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है।
कुदुरमल कोरबा
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कुदुरमल में 500 साल पुरानी समाधि है। |
कोरबा से करीब 15 किलोमीटर दूर कुदुरमल एक छोटा सा गांव है। यहां संत कबीर के शिष्य की एक समाधि है, जो करीब 500 साल पुरानी है।
देखने के लिए यहां संकट मोचन हनुमान नाम का एक मंदिर है। जानकारी के अनुसार संत केवलाल पटेल ने इसे बनवाया था। मंदिर के आसपास काली, दुर्गा, राम सीता, कबीर व अन्य भगवान के छोटे-बड़े मंदिर हैं।
जनवरी और फरवरी में यहां माघ पूर्णिमा मेला लगता है। मंदिर के पास एक चट्टान के नीचे एक गुफा है। यहां सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है।
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