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इस पोस्ट में गरियाबंद जिले के धार्मिक शहर राजिम की बात करेंगे। राजधानी रायपुर से करीब 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित राजिम शहर तीर्थ के रुप में पूरे छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध है। राजिम 10वीं शताब्दी का ऐतिहासिक शहर है। यहां पर तीन नदियों महानदी, पैरी और सोंढुर नदी का संगम है। इस कारण इस जगह को त्रिवेणी संगम भी कहा जाता है। इस जगह को छत्तीसगढ़ का प्रयाग भी कहा जाता है। प्राचीन दिनों में इस जगह की पहचान कमल क्षेत्र के रूप में थी। ऐसी मान्यता है कि सृष्टि के आरंभ में भगवान विष्णु के नाभी से निकला कमल यहीं पर स्थित था, और ब्रह्मा जी ने सृष्टि का प्रारंभ भी यहीं से किया था इस कारण इस क्षेत्र को कमल क्षेत्र कहा जाता था।
राजिम में होने वाले मेले में पूरे भारत से साधू संत शामिल होते हैं। |
राजिम संगम में पूरे छत्तीसगढ़ से लोग अस्थि विसर्जन, पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण के लिए आते हैं। राजिम में राजीव लोचन मंदिर, कुलेश्वर महादेव मंदिर और लोमश ऋषि का आश्रम प्रसिद्ध है। राजीव लोचन मंदिर राजिम में सबसे पुराना मंदिर है। इसमें भगवान विष्णु विराजित हैं। हर साल यहां माघ पूर्णिमा से शिवरात्री तक भव्य मेला लगता है।
राजीव लोचन मंदिर, राजिम
चमत्कारी है राजीव लोचन मंदिर
राजीव लोचन मंदिर को चमत्कारी बताया जाता है। आज भी मंदिर के उनके होने के प्रमाण मिलते हैं। पुजारी जी के अनुसार भगवान के सोने के लिए बिस्तर लगाए जाते हैं, जिसमें 4 तकिए लगे होते हैं। सुबह में कभी एक, कभी दो तकिए बिस्तर से नीचे गिरे मिलते हैं। शनिवार को भगवान को तेल का लेप लगता है। रविवार सुबह मंदिर का गर्भगृह खोलने पर बिसतर पर सिलवट के साथ तेल के निशान मिलते हैं। हर दिन भगवान को थाल द्वारा आनाज का भोग लगाया जाता है। भोग के बाद थाल में रखी प्रसादी में भगवान के हाथ के निशाल मिलते हैं। श्रद्धालु भी मानते हैं कि प्रसादी को भगवान ने अपने हाथों से खाया है। मंदिर प्रांगण में शिव मंदिर, सूर्य देव मंदिर, हनुमान मंदिर, विष्णु भगवान के विभिन्न अवतारों के मंदिर के साथ बुद्ध की मूर्ति भी है। मंदिर के बाहर में कई स्टॉल लगे हुए हैं। यहां से आप प्रसाद और अपनी जरूरत के अनुसार वस्तुएं खरीद सकते हैं।
कुलेश्वर महादेव मंदिर राजिम
कुलेश्वर महादेव को भांचा मंदिर भी कहते हैं
कुलेश्वर महादेव मंदिर को भांचा मंदिर भी कहते हैं। इसके पीछे एक कहानी बताई जाती है। महादेव मंदिर से कुछ दूरी पर स्थित राजीव लोचन मंदिर से पहले संगम तट पर एक मामा मंदिर है। कहा जाता है कि बरसात में जब नदी का जलस्तर बहुत बढ़ जाता है और कुलेश्वर मंदिर का शिवलिंग पानी में डूबने लगता है तो यहां से आवाज आती है मामा बचाओ… मामा बचाओ…। इसी कारण इस मंदिर को भांचा मंदिर भी कहते हैं। मंदिर में महादेव के अलावा शीतला माता, मां काली, काल भैरव के अलावा अन्य देवी-देवताओं की मूर्ति है।
लोमश ऋषि आश्रम राजिम
राजिम में लगता है पुन्नी मेला
त्रिवेणी संगम पर बन रहा सस्पेंशन ब्रीज
रायपुर से राजिम की दूरी
होटल बुकिंग के लिए उपलब्ध साइट। |
राजधानी रायपुर से राजिम करीब 45 किलोमीटर की दूर पर है। यहां आप कार, टैक्सी और बस से आ सकते हैं। सड़क मार्ग से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। सड़क की स्थित की बात करें तो यह ठीक हालत में है। राजिम लोचन मंदिर से पहले पार्किंग की सुविधा है। नजदीकी रेलवे स्टेशन रायपुर है। दूसरे प्रदेश से आने वालों के लिए रायपुर एयरपोर्ट पास है। राजिम में ठहरने के लिए होटल, रिसॉर्ट और धर्मशाला की सुविधा है। इसकी बुकिंग आप ऑनलाइन, ऑफलाइन दोनों तरीके से कर सकते हैं। ऑनलाइन बुकिंग के लिए यहां क्लिक करें। मोबाइल नंबर 9584003002 से भी कमरे बुक किए जा सकते हैं।
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