Budheshwar Mahadev Mandir Raipur | बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर रायपुर | जानिए बूढ़ेश्वर महादेव के बारे में | महादेव मंदिर की भस्म आरती है खास

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इस पोस्ट में राजधानी रायपुर में बूढ़ातालाब से लगे बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर की बात करेंगे। बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास करीब 200 साल पुराना है। महादेव मंदिर बूढ़ातालाब के निकट है इसलिए महादेव  को बूढ़ेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि जहां मंदिर का निर्माण हुआ है वहां पहले शिवलिंग था जो बूढ़ातालाब से लगा हुआ था। इस शिवलिंग पर हमेशा सांप लिपटे रहते थे। पुष्टिकर समाज द्वारा 1950 में मंदिर का जीर्णोद्वार किया गया। आज भी पुष्टिकर समाज द्वारा बनाई गई समिति मंदिर का संचालन करती है।  

बूढ़ेश्वर महादेवमंदिर और गर्भगृह में प्राचीन शिवलिंग।


 
मंदिर प्रांगण में महादेव(प्राचीन शिवलिंग) के साथ कई भगवान के दर्शन होते हैं। इसमें भगवान गणेश, भगवान कार्तिकेय, मां पार्वती, भगवान नरसिंहनाथ, मां संतोषी, राधा-कृष्ण, सीता-राम, बजरंबली और भैरवनाथ हैं। मंदिर के गर्भगृह में गायत्री माता के दर्शन भी होते हैं। मंदिर के एक हिस्से में देश और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में स्थापित 51 शक्तिपीठों की जानकारी दी गई है। साथ ही सभी शक्तिपीठों में स्थापित माता की तस्वीर भी यहां लगाई गई है। माता के साथ वहां स्थापित भगवान भैरवनाथ की जानकारी भी यहां दी गई है। मंदिर प्रांगण में श्री शिव शक्ति ज्योति गृह का निर्माण भी किया गया है। 

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मंदिर की भस्म आरती खास

बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर में होने वाली भस्म आरती बेहद खास होती है। इसकी खास बात यह है कि आरती में उपयोग की जाने वाली भस्म रामेश्वरम से मंगाई जाती है। मंदिर प्रांगण में भैरवनाथ भगवान की भव्य प्रतिमा स्थापित है। बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर के आस-पास और कई मंदिर स्थापित हैं। इसमें शीतला माता मंदिर और मायामाया मंदिर प्रमुख है, जो मंदिर से थोड़ी दूर पर ही है।

मंदिर प्रांगण में सैकड़ों साल पुराना कुंआ

मंदिर प्रांगण में एक कुंआ बना हुआ है। यह कुंआ सैकड़ों साल पुराना बताया जाता है। इस कुंए की खासियत है कि यह आज तक नहीं सूखा है। मंदिर में पानी की ज्यादातर जरूरतों की पूर्ति इस कुंए से होती है। कुंए के पास ही संतोषी मां का मंदिर है। मंदिर प्रांगण में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है।  

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सावन में भक्तों की कतार

सावन महीन में बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर में जलाभिषेक के लिए भक्तों की लंबी कतार लगती है। रायपुर सहित आस-पास से भक्त जलाभिषेक के लिए यहां पहुंचते हैं। मंदिर के पुजारी के अनुसार महादेव के दर्शन से भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है।

51 शक्तिपीठों की जानकारी

मंदिर परिसर के एक हिस्से में 51 शक्तिपीठों की जानकारी दी गई है।


मंदिर परिसर के एक भाग में देश-दुनिया में स्थापित 51 शक्तिपीठों की जानकारी फोटो सहित दी गई है। यह जानकारी बहुत ही व्यवस्थित रूप में दी गई है। इसमें माता सती के शरीर का कौन सा भाग कहां गिरा, वहां स्थापित माता के मंदिर का क्या नाम है और वहां स्थापित भैरवनाथ भगवान को किस नाम से जाना जाता है की जानकारी दी गई है। 

रायपुर रेलवे स्टेशन से बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर की दूरी

रायपुर रेलवे स्टेशन से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर बूढ़ातालाब गार्डन के मुख्य गेट से लगा हुआ है बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर। रायपुर शहर सहित पूरे छत्तीसगढ़ से सड़क मार्ग द्वारा आसानी से बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। आप बस, कार, टैक्सी, ऑटो या स्वयं के साधन से यहां तक पहुंच सकते हैं। नए बने भाटागांव बस स्टैंड से बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर की दूरी मात्र 3 किलोमीटर है। ट्रेन के माध्यम से भी रायपुर रेलवे स्टेशन तक पहुंचा जा सकता है, जहां से मंदिर तक पहुंचने के लिए कई साधन उपलब्ध हैं। रायपुर में एयरपोर्ट की सुविधा है जो मंदिर से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर है।

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राजधानी रायपुर में घूमने की जगह

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कई जगहें हैं जहां आप पिकनिक या घूमने का प्लान बना सकते हैं। खारुन नदी के किनारे पर स्थित रायपुर शहर प्रदेश का सबसे बड़ा शहर है। यहां घूमने के लिए, स्वामी विवेकानंद सरोवर जिसे बूढ़ा तालाब भी कहते हैं, स्वामी विवेकानंद आश्रम, दूधाधारी मठ मंदिर, हाटकेश्वर महादेव मंदिर, तेलीबांधा तालाब, गांधी उद्यान, महामाया मंदिर, राम मंदिर, शादाणी दरबार, इस्कॉन मंदिर, बालाजी मंदिर, बंजारी माता मंदिर, दंतेश्वरी मंदिर, महाकौशल आर्ट गैलरी, गुरु तेग बहादुर संग्रहालय, लक्ष्मण झूला, नंदन वन जू, पुरखौती मुक्तांगन, कैवल्य धाम, नया रायपुर, एमएम फन सिटी, महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय प्रमुख है।

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