Budhatalab Raipur Chhattisgarh | बूढ़ातालाब रायपुर | स्वामी विवेकानंद सरोवर | जानिए बूढ़ातालाब के बारे में | राजधानी रायपुर में घूमने की जगह

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इस पोस्ट में राजधानी रायपुर के बीचो बीच स्थित बूढ़ातालाब की बात करेंगे। बूढ़ातालाब जिसे स्वामी विवेकानंद सरोवर के नाम से भी जाना जाता है का इतिहास करीब 600 साल पुराना है। बूढ़ातालाब एक प्राचीन तालाब है। सन 1402 में राजा ब्रम्हदेव ने इसे बनवाया था। उसके बाद भुवनेश्वर देव ने इसके घाट के पत्थर बनवाए। पूर्व में यह एक वर्गमील था, जिसका बाद में राजाराय सिंह ने विस्तार किया और अपने इष्टदेव बूढ़ादेव के नाम पर इसका नामकरण किया। इसके समीप नगर बसाया गया जिसका नाम रायपुर पड़ा। स्वामी विवेकानंद जी के बचपन की स्मृतियों से जुड़ा होने कारण यह तालाब विवेकानंद सरोवर के नाम से भी जाना जाता है। 

बूढ़ातालाब को कलरफुल लाइटिंग से नया लूक देकर आकर्षक बनाया गया है।


इतिहासकारों के अनुसार बूढ़ातालाब कभी बहुत बड़ा हुआ करता था, जिसके बगल में नारियल और आम के पेड़ हुआ करते थे। बूढ़ातालाब कभी अंग्रेजों की भी पसंदीदा जगह हुआ करती थी। वो यहां काफी समय बिताते थे। रायपुर में रहने के दौरान स्वामी विवेकानंद भी तालाब में स्नान करने के लिए आते थे। उनकी यादों को संजोये रखने के लिए बूढ़ातालाब के एक हिस्से में उनकी भव्य प्रतिमा बनवाई गई है और तालाब का नाम भी उनके नाम पर रखा गया है। समय के साथ तालाब और उसके आस-पास के क्षेत्रों में कई बदलाव हुए हैं। इस बदलाव से तालाब का साइज पहले से बहुत छोटा हो गया है। नारियल और आम के पेड़ों की जगह दो शिक्षण संस्थान और प्ले ग्राउंड बना दिए गए हैं। बूढ़ातालाब से लगे इनडोर स्टेडियम के पास धरना स्थल बनाया गया है। धरना स्थल पर प्रदेश के हर जिले से लोग आते हैं और अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करते हैं। यह नजारा अकसर यहां दिख जाता है। 

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बूढ़ातालाब को कर रहे हैं रेनोवेट

बूढ़ातालाब के डेवलपमेंट के फर्स्ट फेज का काम पूरा हो चुका है।


वर्तमान में बूढ़ातालाब को नए सिरे रेनोवेट किया जा रहा है। पहले फेज का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। वहीं, अभी नेक्स्ट फेज का काम चल रहा है। करोड़ों की लागत से तालाब को आकर्षक बना दिया गया है। सप्रे शाला मैदान एरिया में बूढ़ातालाब को रेनोवेट कर गार्डन बनाया गया है। गार्डन में पाथ-वे, लाइटिंग वर्क, फाउंटेन, बच्चों के लिए प्ले एरिया आदि डेवलप किए गए हैं। अब यहां सुबह शाम युवाओं, बच्चों और बड़ों की भीड़ नजर आती है। गार्डन प्रात: 5 से सुबह 9 बजे तक और दोपहर 3 से रात्रि 8 बजे तक खुला रहता है। परिवार और दोस्तों के साथ यहां का प्लान बना सकते हैं।  

सौंदर्यीकरण कर बूढ़ातालाब को बनाया आकर्षक

बूढ़ातालाब के बीच में 37 फीट ऊंची स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा।


नवंबर 2020 में बूढ़ातालाब का सौंदर्यीकरण कर इस जगह को एकदम से नया और आकर्षक बना दिया गया है। तालाब के चारों ओर कलरफुल लाइटिंग की गई है। तालाब के बीच में स्थित टापू पर 37 फीट ऊंची स्वामी विवेकानंद की मूर्ति, गार्डन सहित पेड़-पौधों में लाइटिंग की गई है। शाम के समय लाइटिंग देखकर लगता ही नहीं कि हम रायपुर के बूढ़ातालाब के पास खड़े हैं। ऐसा लगता है मानो किसी मेट्रो सिटी या विदेश में घूम रहे हों। 

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बूढ़ातालाब के पास गार्डन के साथ पाथवे

गार्डन में जाने के लिए वेलकम फाउंटेन गेट बनाया गया है। 


बूढ़ातालाब को इस तरह से रेनोवेट किया गया है कि देखकर हर कोई कहता है वाह, क्या शानदार काम हुआ है। सप्रे शाला मैदान स्थित हनुमान मंदिर के पास बूढ़ातालाब गार्डन में एंट्री के लिए भव्य गेट बनाया गया है। गेट के अंदर बड़ा सा पार्किंग एरिया डेवलप किया गया है। भव्य गेट के अंदर वेलकम फाउंटेन लगाया गया है। इसके बीच से होते हुए लोग अंदर जाते हैं। गार्डन में मौजूद पेड़ पौधों को कलरफुल लाइट से सजाने के साथ उनके तनों और डालियों पर पेंटिंग कर उन्हें और खूबसूरत बनाया गया है। गार्डन एरिया में लम्बा पाथवे बनाया गया है, जो तालाब से लगा हुआ है। गार्डन के साइड वॉल पर कई खूबसूरत पेंटिंग भी बनाई गई है।

350 मीटर लंबा म्यूजिकल फाउंटेन

बूढातालाब में देश का सबसे लंबा म्यूजिकल फाउंटेन लगाया गया है।


गार्डन एरिया से लगे तालाब में 350 मीटर लंबा म्यूजिकल फाउंटेन लगाया गया है। म्यूजिक की धुन पर निकलते पानी के फौव्वारे 100 फीट की ऊंचाई तक जाते हैं। फाउंटेन में पानी से बनी कई आकृति देखने को मिलती है। इसमें सन, एनिमल, ओम, क्रास साइन आदि है। करीब 5 करोड़ रुपए की लागत से बने इस फाउंटेन को देश का सबसे बड़ा फाउंटेन बताया जाता है। इससे छोटा फाउंटेन ओडिशा के विशाखापट्‌टनम में लगा है जो 225 मीटर का लंबा है।  

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बूढ़ातालाब में बोटिंग की सुविधा

बूढ़ातालाब में बोटिंग की सुविधा उपलब्ध है।


बूढ़ातालाब में बोटिंग की कई तरह की सुविधा उपलब्ध है। बोटिंग में स्पीड बोट, पैडल बोट, फैमिली बोट, क्रूज बोट की सुविधा है। प्राइस की बात करें तो क्रूज बोट में प्रति व्यक्ति 50 रुपए का टिकट है। अगल-अलग बोट की सवारी के लिए अलग-अलग टिकट दर तय है। बोटिंग के माध्यम से आप तालाब की सुंदरता को और करीब से देख सकते हैं।

बूढ़ातालाब गार्डन में बच्चों के लिए भी बहुत कुछ      

गार्डन एरिया में बच्चों के एंटरटेनमेंट के लिए भी बहुत कुछ लगाया गया है। बच्चों के लिए कई तरह के स्लाइडर, झूले लगाए गए हैं। कलरफुल लाइट की पट्‌टी लगाई गई है जिसके ऊपर चलने से अलग-अलग लाइटें जलती हैं। बड़े साइज का चेस भी रखा गया है, जिसके ऊपर चलते हुए बच्चे गेम प्ले करते हैं। बूढ़ातालाब के किनारे पर मोर रायपुर लोगो का सेल्फी जोन बनाया गया है। बूढ़ातालाब के बीच में टापू पर शिवलिंग के दर्शन भी होते हैं। वर्तमान में इस टापू के सौंदर्यीकरण का काम भी चल रहा है। टापू को फ्लोटिंग ब्रिज के माध्यम से सप्रे शाला मैदान वाली साइड से भी जोड़ दिया गया है। हालांकि अभी यह बंद रखा गया है। 

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बूढ़ातालाब से जुड़ी हैं स्वामी जी की यादें 

फ्लोटिंग ब्रिज से टापू को दूसरे सिरे से जोड़ा गया है।


ऐतिहासिक बूढ़ातालाब से कई यादें जुड़ी हुई हैं। कहते हैं कि रायपुर में जब स्वामी विवेकानंद रहा करते थे तो उन दिनों वो काफी समय बूढ़ातालाब के आस-पास बिताते थे। स्नान करने के लिए तालाब आते थे और कई बार तैरकर तालाब को पार भी किया करते थे। तालाब से जुड़ी उनकी यादों को जीवंत रखने के लिए तालाब के बीच में टापू पर 37 फीट ऊंची स्वामी विवेकानंद जी की बड़ी सी प्रतिमा को स्थापित किया गया है। टापू को शहर से जोड़ने के लिए तालाब के एक किनारे से रास्ते का निर्माण भी किया गया है। स्वामी विवेकानंद जी की यादें बूढ़ातालाब से जुड़ी हुई हैं इस कारण इसे स्वामी विवेकानंद सरोवर के नाम से भी जानते हैं।
 

पुलिस लाइन तक फैला हुआ था बूढ़ातालाब

किसी जमाने में बूढ़ातालाब का फैलाव पुलिस लाइन तक हुआ करता था। समय के साथ तालाब के किनारों पर अतिक्रमण के कारण तालाब का वर्तमान स्वरूप बहुत छोटा हो गया है। छोटा होने के बाद भी बूढ़ातालाब की गिनती रायुपुर के बड़े तालाबों में होती है। एक समय तालाब में कमल के फूल भी बहुत दिखते थे। इन्हें देखने के लिए दूर दूर से लोग यहां आया करते थे। मगर अब तालाब में कमल के फूल नहीं दिखते।

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राजधानी रायपुर में घूमने की जगह

राजधानी रायपुर में कई जगहें हैं जहां पिकनिक या घूमने का प्लान बनाया जा सकता है। इनमें स्वामी विवेकानंद सरोवर जिसे बूढ़ा तालाब भी कहते हैं, तेलीबांधा तालाब, एनर्जी पार्क, गांधी उद्यान, महामाया मंदिर, राम मंदिर, बंजारी माता मंदिर, लक्ष्मण झूला, नंदन वन जू, पुरखौती मुक्तांगन, कैवल्य धाम, नया रायपुर, एमएम फन सिटी, महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय प्रमुख है।  

रायपुर में घड़ी चौक से बूढ़ातालाब की दूरी

राजधानी रायपुर में घड़ी चौक से करीब 2.5 किलोमीटर की दूरी पर प्राचीन और ऐतिहासिक बूढ़ातालाब स्थित है। पूरे छत्तीसगढ़ से सड़क मार्ग द्वारा आसानी से राजधानी रायपुर में स्थित बूढ़ातालाब तक पहुंचा जा सकता है। आप बस, कार, टैक्सी या स्वयं के साधन से बूढ़ातालाब तक पहुंच सकते हैं। रायपुर, बिलासपुर, उसलापुर, रायगढ़, जांजगीर, चांपा, भाटापारा, भिलाई, दुर्ग, राजनांदगांव, डोंगरगढ़, मेन रेल रूट पड़ने वाले स्टेशन हैं। यहां से देशभर में जाने के लिए ट्रेनें मिलती हैं। इन स्टेशनों से रायपुर तक के लिए कई ट्रेनों की सुविधा है। प्रदेश में और कई शहर भी हैं जहां ट्रेन की सुविधा है। इसमें बस्तर, कोरबा, अंबिकापुर स्टेशन आदि हैं। दूसरे राज्यों से आने वालों के लिए रायपुर एयरपोर्ट की सुविधा है, जो मुंबई, दिल्ली, विशाखापट्‌टनम और कोलकाता से डायरेक्ट जुड़ा हुआ है। बिलासपुर और बस्तर दो ऐसे जिले हैं जहां से हवाई सफर की सुविधा है। बस्तर एयरपोर्ट से रायपुर जुड़ा हुआ है।

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