CSEB | छत्तीसगढ़ में बिजली की मांग का रिकॉर्ड 5057 मेगावाट तक पहुंचा | विद्युत कंपनी में 300 जूनियर इंजीनियरों की हुई भर्ती | 3000 लाईन परिचारकों की भर्ति प्रक्रिया इसी माह होगी पूरी




रायपुर | विगत वर्षों 2020 तक विद्युत प्रदाय का आंकलन राज्य के लोड डिस्पेच सेंटर से की गई लोड शेडिंग पर आधारित होती थी जिसमें 11 केव्ही फीडरों पर हुए व्यवधान की जानकारी शामिल नहीं होती थी। जबकि वर्ष 2021 से 11 केव्ही फीडरों पर विद्युत व्यवधान की भी जानकारी लगातार एकत्रित हो रही है। इस कारण राष्ट्रीय पावर पोर्टल पर कुल व्यवधान की अवधि विगत वर्षों से अधिक है। किसी फीडर मे व्यवधान होने पर, तात्कालिक व्यवस्था के अनुरूप किसी अन्य फीडर में लोड ट्रांसफर कर विद्युत प्रदाय किया जाता है। स्पष्ट है कि फीडर मीटर डाटा के आधार पर आंकलित विद्युत व्यवधान, वास्तविक विद्युत कटौती से अधिक अवधि दर्ज करता है। यह खासतौर पर शहरी क्षेत्रों पर ज्यादा लागू होता है। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष विद्युत की आपूर्ति  (कृषि पंप फीडरों को छोड़कर) औसतन 23 घंटे 25 मिनट रही जो कि राष्ट्रीय औसत 22 घंटे 45 मिनट से काफी बेहतर है।




कोयला संकट में भी राज्य में बिजली आपूर्ति रही सामान्य

छत्तीसगढ़ में विद्युत प्रदाय की स्थिति सुदृढ़ है। गत रबी सीजन के तीन माह पूर्व से ही ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत पंप क्षेत्रों के पावर ट्रांसफार्मर की क्षमता वृद्धि और अतिरिक्त पावर ट्रांसफार्मर स्थापित किए जाने का कार्य आरंभ किया गया था जिस हेतु आवश्यक शटडाउन भी लिए गए थे। परिणाम स्वरूप कुल 115 पावर ट्रांसफार्मर की क्षमतावृद्धि/अतिरिक्त स्थापना की गई। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में अनवरत विद्युत प्रदाय दे पाना संभव हो पाया, जिससे छत्तीसगढ़ का अधिकतम मांग जो पूर्व के वर्ष में 4782 मेगावाट था, वह इस वर्ष 5057 मेगावाट दर्ज हुआ जो कि छत्तीसग में अब तक का सर्वाधिक अधिकतम मांग का रिकार्ड है। यह अपने आप में युक्तियुक्त प्रमाणिक भी है कि छत्तीसगढ़ में विद्युतप्रदाय गतवर्ष की तुलना में अधिक अच्छी रही है। राष्ट्रव्यापी कोयले के संकट के समय भी छत्तीसगढ़ में विद्युत आपूर्ति सामान्य बनी रही है।

कृषि क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति 18 घंटे तक

कृषि पंप क्षेत्रों में पंप सेपरेटेड फीडरों में केवल विद्युतपंप के कनेक्शन ही होते है और इन फीडरों को 18 घंटे विद्युत प्रदाय करने हेतु सायंकालीन उच्चमांग अवधि में 6 घंटे की कटौती की जाती है। जोकि कृषि कार्य हेतु पर्याप्त विद्युत प्रदाय अवधि है। उल्लेखनीय है कि कुछ राज्यों में कृषि पंप फीडरों को विद्युत प्रदाय की अवधि 8 से 12 घंटे रखी गई है जिसमें आन्ध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात एवं महाराष्ट्र सम्मिलित है।




बेहतर सुविधा के लिए मैनफोर्स पर किया जा रहा काम 

स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ की विद्युत प्रदाय व्यवस्था सुदृढ़ है एवं उपभोक्ताओं के विद्युतप्रदाय को गुणवत्तापूर्ण करने हेतु छत्तीसगढ़ में तकनीकी रूप से आवश्यक कार्यों को वरीयता के आधार पर किया जा रहा है, जिसमें 115 पावर सबस्टेशन के ट्रांसफार्मर की क्षमतावृद्धि की जा चुकी है एवं आगामी खरीफ फसल के पहले 33 केव्ही और 11 केव्ही फीडरों के नवीन निर्माण के कार्य प्रमुखता से किए जा रहे हैं ताकि आगामी खरीफ फसल के समय ओवरलोडिंग या लो-वोल्टेज की स्थिति न बने। इसी प्रकार गुणवत्तापूर्ण विद्युत आपूर्ति बनाए रखने हेतु मैदानी अमले को सशक्त भी किया जा रहा है जिस हेतु 300 कनिष्ठ अभियंता की भर्ती की प्रक्रिया पूरी हो गई है। साथ ही 3000 लाईन परिचारक की भर्ती की प्रक्रिया इसी माह पूर्ण की जा रही है।

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