Kaushalya Mata Mandir chandkhuri Raipur Chhattisgarh | कौशल्या माता मंदिर चंदखुरी रायपुर | जानिए कौशल्या माता मंदिर के बारे में

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इस पोस्ट में राजधानी रायपुर से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर चंदखुरी गांव में स्थित कौशल्या माता मंदिर की बात करेंगे। मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन है। इसे सोमवंशी राजाओं ने 8वीं शताब्दी में बनवाया था। विश्व में यह इकलौता ऐसा मंदिर है जिसमें माता कौशल्या के साथ भगवान राम के दर्शन होते हैं। जलसेन तालाब के बीच में बने इस मंदिर में माता कौशल्या की गोद में भगवान राम बैठे हुए हैं। चंदखुरी गांव को माता कौशल्य के जन्म स्थली के रूप में भी जाता है।

माता कौशल्या की प्रतिमा जिसमें भगवान राम के भी दर्शन होते हैं।

चंदखुरी में स्थित माता कौशल्या का मंदिर।


कौशल्या मंदिर के पास सुखैन वैद्य जी की समाधी भी है। रामायण में सुखैन वैद्य जी का जिक्र है। मेघनाथ से युद्ध के दौरान जब लक्ष्मण मूर्छित हो गए थे तब सुखैन वैद्य जी ने ही संजीवनी बूटी से लक्ष्मण का उपचार कर उन्हें नया जीवनदान दिया था। सुखैन वैद्य जी रावण के वैद्यराज थे। युद्ध में भगवान राम के हाथों रावण के मारे जाने के बाद वैद्य जी राम के साथ आ गए। चंदखुरी में वैद्य जी ने अपने प्राण त्याग दिए।

कौशल्या माता मंदिर प्रांगण में सुखैन वैद्य की समाधी भी है।


मंदिर प्रांगण में सुखैन वैद्य जी की समाधी के पास बड़ा सा पत्थर भी रखा नजर आता है। मान्यता के अनुसार वैद्य जी इस पत्थर पर बैठकर लोगों का इलाज किया करते थे। 

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तालाब से मिली भी माता की प्रतिमा

मंदिर के पुजारी जी के अनुसार जलसेन तालाब से कौशल्या माता की प्रतिमा मिली थी। इस प्रतिमा में माता कौशल्य और भगवान राम के दर्शन होते हैं। तालाब से मिली यह प्रतिमा किसी तरह से प्रमाणित नहीं है पर यहां के लोगों की आस्था इससे जुड़ी हुई है। 

जलसेन तालाब में भगवान विष्णु और समुंद्र मंथन

जलसेन तालाब में समुंद्र मंथन का दृश्य बना हुआ है।


जलसेन तालाब में एक ओर शेषनाग पर लेटे भगवान विष्णु माता लक्ष्मी के साथ और तालाब में दूसरी तरफ समुंद्र मंथन का दृश्य दिखाई देता है। समुंद्र मंथन में देवता, दानव, शेष नाग, पर्वत और भगवान शिव को दिखाया गया है। इसमें भगवान शिव को विष ग्रहण करते हुए दिखाया गया है।   

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भोलेनाथ, नंदी और दशरथ की सभा

मंदिर प्रांगण में भगवान भोलेनाथ और नंदी के भी दर्शन होते हैं।


मंदिर प्रांगण में भगवान भोलेनाथ की भव्य प्रतिमा बनी हुई है। प्रतिमा के सामने बड़े से नंदी के दर्शन होते हैं। प्रांगण में राजा दशरथ की सभा भी देखने को मिलती है। इसमें सिंहासन पर बैठे राजा दशरथ के सामने गुरु वशिष्ठ, सुमंत, महामंत्री, मंत्रीगण, माता कौशल्या, सुमित्रा, कैकई भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न नजर आते हैं।

2021 में कौशल्या माता मंदिर का जीर्णोद्वार

कौशल्या माता मंदिर, मंदिर प्रांगण, तालाब सहित आस-पास की जगह को 2021 में करीब 16 करोड़ रुपए की लागत से शासन द्वारा संवारा और सजाया गया है। तालाब की साफ-सफाई कर सुंदर सुंदर घाट बनाए गए हैं। चारों तरफ आकर्षक लाइटिंग के साथ मंदिर के एंट्री गेट को भव्य बनाया गया है। तालाब के बीच में स्थित मंदिर कैंपस में ज्योति कलश भवन का निर्माण किया गया है। 2021 नवरात्र के पहले दिन गुरुवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मंदिर के इस नए स्वरूप का उद्घाटन किया। इस दौरान कई गणमान्य लोगों के साथ हजारों की संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।

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भगवान राम की 51 फीट की भव्य मूर्ति

चंदखुरी में भगवान राम की 51 फुट की प्रतिमा आकर्षक का केंद्र है। लोग दूर-दूर से इसे देखने आ रहे हैं। 



कौशल्या मंदिर के एंट्री गेट के बाहर भगवान राम की भव्य मूर्ति बनाई गई है। भूरे पत्थर से बनी यह मूर्ति 51 फीट ऊंची है। मध्य प्रदेश और ओडिसा के 50 से ज्यादा कलाकारों ने आधुनिक मशीनों की मदद से  भागवान राम की इस मूर्ति का निर्माण किया है। छत्तीसगढ़ के बिल्हा स्टोन से बने इस मूर्ति की खासियत है कि इसमें हमेशा चमक बनी रहेगी। बिल्हा स्टोन गुलाबी रंग का होता है। 

पत्थर का बना है भव्य एंट्री गेट

मंदिर के एंट्री गेट को भव्य बनाया गया है।


कौशल्या मंदिर का जीर्णोद्वार कर इसे और आकर्षक बना दिया गया है। इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे हैं। मंदिर के एंट्री गेट को भव्य बनाया गया है। इसे बनाने में बड़े बड़े पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। पत्थर को तराशकर मंदिर के चारों तरफ सुंदर सुंदर मंडप, लैंप और बैठने के लिए बेंच बनाए गए हैं। पूर्व में मंदिर के मुख्य गेट के ऊपर विराजीत भगवान हनुमान को वर्तमान में गेट के सामने स्थापित किया गया है। जीर्णोद्वार के बाद वर्तमान मंदिर स्थल और पूर्व मंदिर स्थल में बहुत बदलाव हो गया है। 

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पुल को चौड़ा कर बनाया आकर्षक

पुल को चौड़ा कर आकर्षक बनाया गया है।


मंदिर प्रांगण तालाब के बीच में स्थित है। यहां तक जाने के लिए बने हुए पुल को और चौड़ा कर दिया गया है। पहले यह सिंपल सकरा पुल था। मगर अब इसे चौड़ा और आकर्षक बना दिया गया है। नए पुल का डिजाइन देखने से लगता है कि कई हथेली मिलकर इस पुल को तालाब से ऊपर उठाए हुए है।  

रायपुर रेलवे स्टेशन से कौशल्या माता मंदिर की दूरी

मंदिर में माता कौशल्या और भगवान राम की आकर्षक प्रतिमा रखी गई है।


राजधानी रायपुर में रायपुर रेलवे स्टेशन से चंदखुरी गांव में स्थित माता कौशल्या मंदिर की दूरी करीब 25 किलोमीटर है। रायपुर रेलवे स्टेशन या घड़ी चौक से मोवा, सड्‌डू, विधानसभा रोड होते हुए मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। मंदिर तक का सफर कार, टैक्सी या स्वयं के वाहन से कर सकते हैं। सड़क की स्थित अच्छी है। रेल मार्ग की बात करें तो रायपुर रेलवे स्टेशन छत्तीसगढ़ सहित देश के प्रमुख स्टेशनों से जुड़ा हुआ है। रायपुर शहर हावड़ा मुंबई मेन लाइन से जुड़ा हुआ है इस कारण रायपुर तक के लिए कई ट्रेनों की सुविधा उपलब्ध है। दूसरे राज्यों से आने वालों के लिए रायपुर एयरपोर्ट की भी सुविधा है। एयरपोर्ट मुंबई, दिल्ली, विशाखापट्‌टनम और कोलकाता से डायरेक्ट जुड़ा हुआ है।

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राजधानी रायपुर में घूमने की जगह

राजधानी रायपुर में कई जगहें हैं जहां पिकनिक या घूमने का प्लान बनाया जा सकता है। इनमें तेलीबांधा तालाब, एनर्जी पार्क, गांधी उद्यान, महामाया मंदिर, राम मंदिर, बंजारी माता मंदिर, लक्ष्मण झूला, नंदन वन जू, पुरखौती मुक्तांगन, कैवल्य धाम, नया रायपुर, एमएम फन सिटी, जंगल सफारी, स्वामी विवेकानंद सरोवर जिसे बूढ़ातालाब भी कहते हैं आदि प्रमुख है।

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