Crocodial Park Janjgir Champa : जाना चाहते है अच्छी जगह घूमना तो जाए क्रोकोडायल पार्क

इस पोस्ट में हम Janjgir-Champa District में स्थित Crocodial Park के बारे में विस्तार से जानेंगे। कब जाएं और किन बातों का ध्यान रखें यह भी जानेंगे।

इस पोस्ट में हम Janjgir-Champa District में स्थित Crocodial Park के बारे में विस्तार से जानेंगे। कब जाएं और किन बातों का ध्यान रखें यह भी जानेंगे।


क्रोकोडायल पार्क में 500 से ज्यादा मगरमच्छ

क्रोकोडायल पार्क का एंट्री गेट।

Crocodial Park Janjgir-Champa की जानकारी

Chhattisgarh का पहला Crocodial Park जांजगीर चांपाजिले के Kotmi sonaar में स्थित है। पार्क के अंदर में 80 एकड़ में फैला एक तालाब है। इसी तालाब में करीब 500 मगरमच्छ रहते हैं। तालाब को मुड़ा तालाब के नाम से जानते हैं। 


तालाब में मगरमच्छों की अधिकतम लम्बाई 12 फ़ीट है। देश का यह तीसरा सबसे बड़ा Crocodial Park है, जहां पर इतने सारे मगरमच्छ एक साथ रहते हैं। पर्यटन स्थल के रूप में विकसित इस Park में हर दिन सैकड़ों लोग घूमने आते हैं। पाथवे और तालाब के बीच दो जालीदार बैरिकेड बनाये गए हैं। जगह जगह पर मगरमच्छों को कुछ न खिलाने के भी बोर्ड लगे हैं। 


Park में बच्चों के मनोरंजन का भी विशेष ध्यान रखा गया है। उनके लिए झूला, फिसल पट्टी, वॉच टावर और पाथवे बनाये गए हैं। साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखा गया है। कचरा डालने के लिए जगह जगह पर Dustbin रखे गए हैं। 


क्रोकोडायल पार्क के अंदर कैंटीन की सुविधा

क्रोकोडायल पार्क के अंदर कैंटीन की सुविधा है। 

क्रोकोडायल पार्क के अंदर खाने पीने के लिए कैंटीन की सुविधा है। पार्क से कैंटीन जाने वाले मार्ग में मगरमच्छ के मुंह के आकर का गेट बना है जो देखने में काफी आकर्षक है। 


पर्यटक यहां पर सेल्फी और फोटो लेते अक्सर दिख जाते हैं। पार्क को आकर्षक तरीके से सजाया गया है। अंदर में पाथवे के दोनों किनारे लाइन से प्लाम के पेड़ लगाए गए हैं। यह पार्क की सुंदरता को चार चांद लगा देते हैं। 


Crocodial Park जाने का सही समय

पार्क जाने का सही समय ठंड और गर्मी का मौसम है। ठंड के दिनों में मगरमच्छ धूप सेंकने के लिए तालाब के किनारों पर आ जाते हैं। ऐसे में इन्हें आसानी से देखा जा सकता है। वहीं, गर्मी के दिनों में तालाब का पानी कम हो जाता है, ऐसे में ये आसानी से दिख जाते हैं।  


बाकी दिनों में मगरमच्छों को देखना आसान नहीं होता। कई पर्यटक बिना देखे ही मायूस लौट जाते हैं। वहीं कुछ पर्यटकों को दिखते भी हैं तो ना के बराबर।


क्रोकोडायल पार्क मौसम ख़राब हो तो न जाएं

तालाब के किराने फेंसिंग की गई है। 

बरसात का मौसम Park जाने के लिए सही नहीं है। इस मौसम में तालाब के किनारे बड़े बड़े घास और जंगल उग आते हैं। इस कारण मगरमच्छ अच्छे से दिखाई नहीं देते।


वहीं, अगर तेज़ बादलों की गर्जना हो तो गाज गिरने का डर बना रहता है। मेरे साथ ऐसा हो चूका है। हमलोग पार्क के अंदर गाज की चपेट में आने से बाल बाल बचे हैं। वैसे भी पानी और पेड़ पौधों के आस पास गाज का गिरना आम है। 


क्रोकोडायल पार्क में सीताराम दास जी हैं खास

मगरमच्छों की देखभाल करने वाले सीताराम दास।

मगरमच्छों के लिए सीताराम दास जी खास हैं। दास जी के अनुसार शुरुआत में उन्होंने आस पास के 22 तालाबों से कई मगरमच्छों को लाकर इस तालाब में डाला है।


ग्रामीणों और सरकार द्वारा भी तालाब में कई मगरमच्छ डाले गए हैं। मगरमच्छों के खाने पीने की जरूरतों को वन विभाग पूरा करता है। सीताराम जी द्वारा आवाज़ लगाने पर मगरमच्छ तालाब से बाहर निकल आते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने मई 2006 में इसका उद्घाटन किया था।

क्रोकोडायल पार्क में Entry Fees

क्रोकोडायल पार्क के बाहर लगा एंट्री फी का बोर्ड। 


पार्क में AGE के अनुसार एंट्री फीस 

बड़ों के लिए                                         20 रुपए 

5 से 12 साल के बच्चों के लिए                   10 रुपए

1 से 5 साल के बच्चों के लिए                     निशुल्क 

कैमरा के लिए                                        50 रुपए 

क्रोकोडायल पार्क में झारखण्ड और ओडिशा से भी पर्यटक आते हैं 


क्रोकोडायल पार्क से कुछ दूरी पर लगा इंडिकेशन बोर्ड।

Park तक ट्रेन, कार और बाइक से आसानी से पहुंचा जा सकता है। पार्क के पास ही बाइक और कार स्टैंड है। बिलासपुर से पार्क की दूरी करीब 35 किलोमीटर है। वहीं, जांजगीर से दूरी करीब 30 किलोमीटर है। पार्क घूमने के लिए पूरे छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा से पर्यटक आते हैं।

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