इस पोस्ट में अंबिकापुर के आस पास स्थित घूमने वाली जगहों की बात करेंगे। ठिनठिनी पत्थर, उल्टा पानी, दलदली जमीन को देखने पूरे भारत से लोग आते हैं।
इसमें ठिनठिनी पत्थर और उल्टा पानी को देख पर्यटक चकित हो जाते हैं। मौका मिले तो जरूर इन जगहों पर जाइए और इनको पास से अनुभव कीजिए।
इसके अलावा महामाया मंदिर, जोगिमारा केव्स, घुनघुट्टा डैम और वाटर पार्क भी घूम लीजिए। अंबिकापुर शहर में स्थित माँ महामाया के दर्शन जो जरूर करिये।
मैनपाट
अंबिकापुर से करीब 55 किलोमीटर की दूरी पर मैनपाट स्थित है। यह एक हिल स्टेशन है। टाइगर पॉइंट झरना, मछली बिंदु झरना, घाघी झरना, दलदली जमीन, उल्टा पानी, तिब्बतियन बस्तियां, बुद्ध मंदिर और स्तूप यहां देखने लायक है।
राजधानी रायपुर से करीब 350 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस हिल स्टेशन को एंजॉय करने के लिए पूरे छत्तीसगढ़, झारखंड और उड़ीसा से पर्यटक आते हैं।
यहां का वेदर सैलानियों को अचंभित करता है। यहां का मौसम इतना अच्छा है की साल के ज्यादातर समय यहां घूमने के लिए आया जा सकता है। सड़क मार्ग से यहां पहुंचा जा सकता है। ट्रेन की सुविधा अंबिकापुर तक है।
ठिनठिनी पत्थर
अंबिकापुर शहर से करीब 12 किलोमीटर की दूरी छिंदकालो गांव के पास ठिनठिनी पत्थर है। इसकी खासियत यह है कि पत्थर के हर हिस्से को ठोकने से अलग-अलग धातु की आवाज निकलती है।
पत्थर के आसपास बहुत सारे पत्थर हैं मगर इस बेलनाकर पत्थर की बात ही अलग है। आसपास पड़े दूसरे पत्थरों को ठोकने से आम पत्थरों जैसी ही आवाज निकलती है।
करीब 5 फीट ऊंचा 3 फीट चौड़ ठिनठिनी पत्थर से निकलने वाली आवाज लोगों के लिए एक पहेली है। पत्थर को देखने छत्तीसगढ़ सहित पूरे भारत से लोग आते हैं।
इस पत्थर के रहस्य से पर्दा उठाने के लिए कई वैज्ञानिक भी यहां आ चुके हैं, लेकिन अभी तक इसका रहस्य बरकरार है। ठिनठिनी पत्थर छत्तीसगढ़ का ऐतिहासिक धरोहर बन गया है। छिंदकालो गांव दरिमा हवाई अड्डा से लगा हुआ है। सड़क मार्ग से आसानी से यहां पहुंचा जा सकता है।
महामाया मंदिर
अंबिकापुर शहर के पूर्व में स्थित महामाया मंदिर को 52 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। यहां माता का धड़ स्थित है. देवी दुर्गा को समर्पित इस मंदिर का निर्माण रघुनाथ शरण सिंह ने करवाया था।
मंदिर को कलचुरी युग से जोड़कर इसे देखा जाता है। जानकारी के अनुसार देवी महामाया की मूर्तियां दूसरी और तीसरी शताब्दी की हैं। महामाया मंदिर के सामने समलेश्वरी मंदिर स्थित है।
मंदिर के पास एक सुंदर तालाब भी है। माता के दर्शन को पूरे छत्तीसगढ़ से श्रद्धालु आते हैं। माता के दर्शन के लिए दुर्गा पूजा या नवरात्रि का समय सबसे अच्छा है।
नवरात्रि के समय यहां ज्योति कलश प्रज्वलित की जाती है। मंदिर प्रांगण में साफ़ सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है। नवरात्र में यहां श्रद्धालुओं की बहुत भीड़ होती है। सड़क और रेल मार्ग से यहां पहुंचा जा सकता है।
जोगिमारा केव्स
अंबिकापुर शहर से करीब 46 किलोमीटर की दूरी पर जोगिमारा की गुफाएं स्थित हैं। जानकारी के अनुसार करीब 300 ईसा पूर्व बनी यह गुफा बहुत रोचक है।
इसके अंदर मनुष्य, जानवर, पक्षी, पेड़-पौधे सहित फूल पत्तियों के चित्र बने हुए हैं। रेड कलर का इस्तेमाल कर पेंटिंग को सफेद प्लास्टर पर बनाया गया है।
गुफा में हाथी, मानव की पेंटिंग के साथ मछली की करीब 7 अलग-अलग पेंटिंग्स हैं। आने वाले लोगों को यहां पर कुछ शिलालेख भी मिल सकते हैं।
इन्हें दुनिया के पहले प्रेम के संदेशों के रूप में जाना जाता है। यह संदेश देवदत्त और सूतनुका के प्रेम संबंधों को बताते हैं। यहां सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है। अंबिकापुर तक ट्रेन की सुविधा है।
घुनघुट्टा डैम
अंबिकापुर से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर घुनघुट्टा डैम स्थित है। डैम में 8 गेट बने हुए हैं। इसकी क्षमता 62.05 मिलियन क्यूबिक मीटर है।
पिकनिक के लिए यह बेस्ट लोकेशन है। प्रकृति सुंदरता से घिरे इस बांध की खूबसूरती देखते ही बनती है। बांध से लगा एक पार्क भी है जहां बच्चों के एंजॉय के लिए बहुत से ऑप्शन हैं।
डैम में वोटिंग की सुविधा भी है। फैमिली के साथ लोग यहां पिकनिक मनाने और बोटिंग के लिए आते हैं। इस जगह को छत्तीसगढ़ पर्यटन का गौरव भी कहा जाता है।
वाटर पार्क
अंबिकापुर से करीब 4 किलोमीटर की दूरी पर वाटर पार्क स्थित है। परिवार के साथ आप इस जगह को एन्जॉय कर सकते हैं। पार्क में पानी का कोई बड़ा स्रोत नहीं है लेकिन छोटी सी जगह में बोटिंग की सुविधा है।
पार्क को बहुत सुंदर ढंग से डेवलप किया गया है। पार्क में लाइटिंग की व्यवस्था बहुत अच्छी है। इसमें गुलाब की अलग-अलग वैरायटी देखने को मिलती है। बच्चों के लिए झूला, फिसलपट्टी और टॉय ट्रेन की सुविधा है। कोरोना के कारण पार्क को अभी बंद रखा गया है। यहां सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है।