Kutumsar Gufa Jagdalpur Chhattisgarh | Kutumsar Cave Jagdalpur | जानिए कोटमसर गुफा के बारे में | गुफा के अंदर खास किस्म की मछली पाई जाती है | साल में 4 महीने गुफा को बंद रखा जाता है

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इस पोस्ट में जगदलपुर शहर से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कोटमसर गुफा की बात करेंगे। कांगेर वैली नेशनल पार्क में स्थित यह गुफा करीब 125 फीट गहरी और करीब 4500 फीट लंबी है। भारत की यह सबसे गहरी गुफा मानी जाती है। गुफा के अंदर सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती। इस कारण इसके अंदर घुप अंधेर रहता है। कोटमसर गुफा का इतिहास बहुत प्राचीन है। इसका निर्माण करीब ढाई सौ करोड़ वर्ष पूर्व हुआ है। गुफा के अंदर लाइम स्टोन की चट्‌टानें अलग-अलग शेप में देखने को मिलती हैं। अंदर में प्राकृतिक रूप से बना शिवलिंग भी है। कई जगह जमे हुए पानी के स्रोत हैं, जिसमें रंग-बिरंगी अंधी मछली पाई जाती है। 
कोटमसर गुफा के अंदर की सुंदरता हर किसी को आकर्षित करती है।


कोटमसर गांव के नाम पर गुफा का नाम कोटमसर गुफा पड़ा है। इससे पहले गुफा का नाम गोपंसर था। सन् 1900 में गुफा की खोज यहां के आदिवासियों ने की थी। बाद में सन् 1950 के दशक में भूगोल के प्रोफेसर डॉ. शंकर तिवारी ने आदिवासियों की मदद से सीमित संसाधनों में इस गुफा की खोज की। इस खोज के बाद गुफा की पहचान पूरी दुनिया में हुई। गुफा के अंदर कई रहस्य अभी भी छुपे हुए हैं। इसकी खोज जारी है। यहां जब भी आएं तो अच्छी रोशनी वाली टार्च जरूर लेकर आएं। इसकी मदद से आप गुफा को अच्छी तरह देख पाएंगे। गुफा में अंदर ज्यादा गर्मी लगती है। गुफा के बाहर घने जंगल हैं। गुफा को देखने के लिए देश-विदेश के पर्यटक आते हैं। अगर आप छत्तीसगढ़ निवासी हैं तो एक बार जरूर इस गुफा को देखें।  

गाइड की मदद से कोटमसर गुफा में प्रवेश

कोटमसर गुफा के अंदर का प्रवेश द्वारा संकरा है।


कोटमसर गुफा के अंदर जाने वाले टूरिस्टों की मदद और उन्हें जानकारी देने के लिए साथ में गाइड जाते हैं। गुफा के अंदर घुप अंधेरा रहता है इसलिए गाइड साथ में टार्च या सोलर लाइट लेकर चलते हैं। पर्यटक उनके अनुसार उनके पीछे-पीछे चलते हैं। जब भी आप गुफा में जाएं तो सावधानी से प्रवेश करें। गुफा का प्रवेश द्वारा बहुत ही सकरा है। एक बार में एक ही व्यक्ति अंदर जा या आ सकता है। गुफा के अंदर मेन हिस्से में पहुंचने के लिए करीब 20 सीढ़ी नीचे गहराई में उतरना पड़ता है। सीढ़ी उतरते समय कुछ जगह झुककर या बैठकर आगे बढ़ना होता है। अंदर में संभलकर चलें। कई जगह फिसलन होती है। गुफा में लटकती चट्‌टानों से सर में चोट लगने का खतरा बना रहता है। गुफा के अंदर घुप अंधेरा रहता है। इस कारण कुछ भी दिखाई नहीं देता। अंदर जाने वाला व्यक्ति रोशनी के आभाव में खुद को अंधा महसूस करता है।

कोटमसर गुफा के अंदर का नाजार 

कोटमसर गुफा क अंदर चट्‌टानों में कई आकृति देखने को मिलती है।


कोटमसर गुफा के अंदर का नजारा देख हर कोई चकित रह जाता है। अंदर में अलग-अलग आकृति में ढली चट्‌टानें बहुत सुंदर दिखती हैं। पानी के बहाव के कारण चट्‌टानों के अलग-अलग शेप बन गए हैं। गुफा में ऊपर देखने पर कई जगह गुंबद जैसा दिखाई देता है। एक जगह दो आंखों की आकृति बनी दिखाई देती है। अंधेरे में इनके ऊपर लाइट जलाने पर ये चमक उठती हैं। कुछ चट्‌टानें समय के साथ काली हो गई हैं। गाइड के अनुसार जब टॉर्च, सोलर लाइट या चार्जिंग लाइट की सुविधा नहीं थी तो पर्यटक मशाल या लालटेन की लाइट में गुफा को देखने आते थे। इससे निकलने वाले धुंए के कारण चट्‌टानें काली पड़ती चली गईं। वहीं पर्यटकों द्वारा चट्‌टानों को बार-बार छूने के कारण भी इनकी चमक फीकी हो गई है।    

कोटमसर गुफा तक जिप्सी कार का संचालन

अब कोटमसर गुफा तक जिप्सी कार से ही पहुंचा जा सकता है।


पर्यटकों को कोटमसर गुफा तक पहुंचाने के लिए अब जिप्सी कार संचालित की जाती है। कांगेर वैली नेशनल पार्क के एंट्री गेट से जिप्सी के माध्यम से पर्यटक गुफा तक पहुंचते हैं। पर्यटकों को एंट्री गेट से गुफा तक के रास्ते में एक गांव, कांगेर धारा और डीयर पार्क देखने को मिलता है। पर्यटकों को कांगेर धारा, डीयर पार्क दिखाते हुए जिप्सी गुफा तक पहुंचती है। कांगेर धारा देखने में बहुत खूबसूरत है। चट्‌टानों के बीच से पानी की चौड़ी धारा नीचे की ओर गिरती है। ऐसी दो धाराएं यहां देखने को मिलती है। धारा के चारों ओर हरे भरे घने जंगल हैं। कोटमसर गुफा से बाहर आने के बाद जो जिप्सी अवेलेबल हो उससे आप वापस पार्क के एंट्री गेट तक लौट सकते हैं। पहले गुफा तक लोग कार या बाइक से आसानी से पहुंच जाते थे। अब यह पूरी तरह से बंद है।   

करीब 8 महीने खुला रहता है कोटमसर गुफा

कोटमसर गुफा बंद रहने की सूचना बोर्ड के माध्यम से दी गई है।


कोटमसर गुफा पर्यटकों के लिए सालों भर खुला नहीं रहता। साल में यह करीब 8 महीने पर्यटकों के लिए खुला रहता है। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान संचालक के अनुसार 1 नवंबर से 15 जून तक गुफा पर्यटकों के लिए खुली रहती है। वहीं, 16 जून से 30 अक्टूबर तक गुफा को बंद रखा जाता है। इस दौरान गुफा में किसी तरह की आवाजाही नहीं होती। इसका प्रमुख कारण है बरसात का मौसम। बरसात के दिनों में गुफा में पानी का बहाव तेज हो जाता है। ऐसे में गुफा के अंदर जाना खतरनाक हो सकता है। वहीं बरसात के बाद नवंबर से जून तक गुफा में पानी का बहाव बहुत कम हो जाता है। ऐसे में खतरा नहीं रहता।  

पर्यटक काउंटर से मिलता है टिकट 

कांगेर वैली नेशनल पार्क के एंट्री गेट पर लगा टिकट दर का बोर्ड।


कांगेर वैली नेशनल पार्क के एंट्री गेट के पास पर्यटक काउंटर बना हुआ है। पर्यटक काउंटर सुबह 8 से शाम 5 बजे तक खुला रहता है। कुटुमसर गुफा के लिए काउंटर शाम 4 बजे ही बंद हो जाता है। पर्यटक यहां से गुफा जाने के लिए टिकट ले सकते हैं। टिकट में गाइड और लाइट चार्ज जुड़ा होता है। कैमरा के लिए अलग से टिकट लेना होता है। गुफा तक जाने के लिए जिप्सी की बुकिंग भी करनी पड़ती है। आप अन्य पर्यटकों से शेयर कर भी जिप्सी बुक कर सकते हैं। एक जिप्सी में छह लोगों के बैठने की सुविधा होती है।  
  

कांगेर वैली नेशनल पार्क में और क्या

कांगेर वैली नेशनल पार्क में घुमने की और जगह।


कांगेर राष्ट्रीय उद्यान में देखने के लिए बहुत कुछ है। यहां पर कोटमसर गुफा के अलावा घने जंगल, दंडक गुफा, कैलाश गुफा, डियर पार्क और कांगेर धारा देखा जा सकता है। कोटमसर गुफा आने वाले पर्यटक गुफा के साथ में डियर पार्क और कांगेर धारा देख लेते हैं। दंडक गुफा और कैलाश गुफा के देखने के लिए उन्हें अलग जाना होता है। कांगेर वैली गेट से दूसरी तरफ करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर तीरथगढ़ वॉटरफॉल है। इस वॉटरफॉल की गिनती भारत के सबसे ऊंचे वॉटरफॉल्स में होती है। यह करीब 300 फीट की ऊंचाई से नीचे की ओर गिरता है। 

रायपुर से कोटमसर गुफा की दूरी

कोटमसर गुफा से पहले देखने के लिए कांगेर धारा भी है।


राजधानी रायपुर से करीब 275 किलोमीटर की दूरी पर कोटमसर गुफा स्थित है। जगदलपुर से दंतेवाड़ा जाने वाली सड़क में जगदलपुर से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर कांगेर घाटी में कोटमसर गुफा स्थित है। सड़क की स्थित की बात करें तो जगदलपुर से कांगेर घाटी एंट्री गेट तक की सड़क की स्थित अच्छी है। इसके बाद कोटमसर गुफा तक की सड़क कच्ची है जो करीब 10 किलोमीटर है। जगदलपुर शहर में सड़क चौड़ीकरण का काम चल रहा है। आप कार, टैक्सी या बाइक से कांगेर वैली गेट तक आसानी से पहुंच सकते हैं। रायपुर से जगदलपुर तक ट्रेन की भी सुविधा है। कोविड के कारण ट्रेन का संचालन अभी बंद है। वैस ट्रेन से जगदलपुर तक के सफर में शानदार नजारे देखने को मिलते हैं। जगदलपुर में एयरपोर्ट की सुविधा है, जो रायपुर और विशाखापट्टनम से जुड़ा हुआ है।

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