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इस पोस्ट में राजधानी रायपुर में बिलासपुर हाईवे पर स्थित बंजारी माता धाम की बात करेंगे। रायपुर रेलवे स्टेशन से करीब 7 किलोमीटर की दूरी पर बीरगांव में जैन मंदिर के पास रायपुर के प्रसिद्ध मंदिरों में शुमार बंजारी माता का धाम है। मंदिर प्रांगण में करीब 150 देवी-देवताओं के दर्शन होते हैं। मंदिर को अंदर से कलरफुल ग्लास के टुकड़ों से डेकोरेट किया गया है।
बंजारी माता। |
बंजारी माता धाम के अंदर मंदिर का संक्षिप्त इतिहास लिखा हुआ है। उसके अनुसार धाम में जो बंजारी माता की मूर्ति स्थापित है वह कई वर्षों से यहां विराजमान है। माता की मूर्ति के बारे में लोगों का कहना है कि मूर्ति का नाम बंजारी माता इसलिए रखा गया क्योंकि पहले यह स्थान बंजर भूमि थी। वहीं माता की मूर्ति बगुला मुखी देवी के समान है। माता की पूजा अर्चना प्राचीन काल से की जा रही है। बंजारी माता मंदिर में हनुमान जी और गणेश जी की प्रतिमा भी स्थापित है। मंदिर की दीवारों पर कांच से कई देवी-देवताओं को उकेरा गया है। नवरात्र में यहां ज्योति कलश की स्थापना की जाती है। इसकी संख्या हजारों में होती है। करीब 10 हजार के आस-पास ज्योति कलश प्रज्जवलित की जाती है।
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बंजारों द्वारा माता की खोज
एक किंवदंती के अनुसार बंजारों द्वारा माता की खोज की गई थी इसलिए माता को बंजारी माता के नाम से जाना जाता है। माता की मूर्ति करीब 500 साल पुरानी बताई जाती है। मंदिर के निर्माण के संबंध में कोई ठोस जानकारी नहीं है। एक लेख के अनुसार मंदिर के गर्भगृह में स्थित मां की मूर्ति पास के जंगल में मिली थी। लेख के अनुसार एक व्यक्ति को सपने में माता के दर्शन हुए थे उसके बाद माता की खोज की गई। खोज के दौरान जब माता की मूर्ति मिली तो उसमें सिंदूर लगा हुआ था। और वर्तमान की प्रतिमा से वह मूर्ति बहुत छोटी थी। कई वर्षों से माता की प्रतिमा बढ़ती जा रही है, जो श्रद्धालुओं के लिए आस्था का विषय है। वहीं किसी भी व्यक्ति द्वारा अभी तक इस रहस्य को सुलझाया नहीं जा सका है।
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माता के दर्शन को आते थे नाग नागिन
मंदिर के जानकारों और पंडितों के अनुसार पहले के समय में माता के दर्शन के लिए जंगल से शेर और नाग नागिन आया करते थे। बाद में नाग नागिन के कई जोड़े मंदिर के आस-पास दिखने लगे। माता बंजारों की कुलदेवी हैं। बंजारों द्वारा ही माता की खोज की गई इस कारण माता को बंजारी माता के नाम से पूरे छत्तीसगढ़ में जाना जाता है। पूर्व मंदिर को बाद में भक्तों द्वारा और भव्य रूप में संवारा गया है।
मंदिर कैंपस में कई देवी-देवता
मंदिर कैंपस में करीब 150 देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित हैं। मेन एंट्री गेट से अंदर आते ही राइट साइड में बंजारी माता का मंदिर स्थित है। एंट्री गेट के सामने साईं दरबार देखने को मिलता है। साईं दरबार के राइट साइड में बंजारेश्वर महादेव का मंदिर है। वहीं, लेफ्ट साइड में हनुमान जी की बड़ी सी मूर्ति देखने को मिलती है। कैंपस के अंदर दीवारों पर कई विचार लिखे गए हैं।
बंजारेश्वर महादेव मंदिर
बंजारेश्वर महादेव मंदिर दो तलों में बना हुआ है। नीचे वाले तल को पृथ्वी लोक और ऊपर वाले तल को स्वर्ग लोक कहा जाता है। नीचे वाले तल में शिवलिंग के साथ महादेव के दर्शन होते हैं। ऊपर वाले तल में विशाल महादेव की प्रतिमा खुले स्थान में स्थापित है। महादेव के सामने विशाल नंदी की मूर्ति भी स्थापित है। सबसे नीचे वाले तल में भगवान शेषनाग के ऊपर लेटे हुए भगवान विष्णु के दर्शन होते हैं। उनके आस पास ब्रह्मा आदि देवताओं के दर्शन होते हैं। एक जगह शेषनाग से अटखेलियां करते भगवान श्रीकृष्ण भी दिखाई देते हैं। शाम के समय मंदिर प्रांगण में शानदार लाइटिंग देखने को मिलती है।
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प्रवेश द्वार के बगल में श्रद्धांजलि स्थल
मंदिर के प्रवेश द्वार के बगल में श्रद्धांजलि स्थल बनाया गया है। जहां इंडिया मैप का बड़ा सा कटआउट लगा हुआ है। इसके सामने जय मां बंजारी धाम ट्रस्ट लिखा हुआ है। उसके नीचे अमर जवान लिखा हुआ है जिसके बीच में अशोक चक्र का निशान बना हुआ है। उसके नीचे राष्ट्रीय चिह्न लगा हुआ है। निशान के आगे और अगल-बगल तिरंगा झंडा दिखाई देता है। मिसाइल और सैटेलाइट के मॉडल भी कटआउट मैप के अगल-बगल दिखाई देते हैं। सबसे सामने वाले हिस्से में वॉल पर बड़े शब्दों में वंदे मातरम् लिखा दिखाई देता है। 15 अगस्त को यहां स्कूली बच्चों द्वारा भव्य परेड निकाली जाती है जिसमें बच्चे सेना के गेटअप में शामिल होते हैं।
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नवरात्र में लगता है बड़ा मेला
मंदिर के बैक साइड में बड़ा सा मैदान स्थित है। मैदान से पहले रास्ते में कई स्टॉल बने हुए हैं। इन स्टॉल से प्रसाद, खिलौने, फोटो आदि की खरीदारी कर सकते हैं। मैदान में नास्ते के ठेले भी लगे रहते हैं। नवरात्र के दौरान मैदान में बड़ा सा मेला लगता है। मैदान के एक ओर उज्जवल गौ रक्षण केंद्र गौशाला और मां बंजारी गुरुकुल विद्यालय है। मैदान में रावण की बड़ी सी प्रतिमा भी दिखाई देती है। दशमीं यहां रावण दहन का कार्यक्रम भी होता है। परिवार या दोस्तों के साथ माता के दर्शन का प्लान बना सकते हैं।
राजधानी रायपुर में घूमने की जगह
राजधानी रायपुर में कई जगहें हैं जहां पिकनिक या घूमने का प्लान बनाया जा सकता है। इनमें स्वामी विवेकानंद सरोवर जिसे बूढ़ातालाब भी कहते हैं, तेलीबांधा तालाब, एनर्जी पार्क, गांधी उद्यान, महामाया मंदिर, राम मंदिर, लक्ष्मण झूला, नंदन वन जू, पुरखौती मुक्तांगन, कैवल्य धाम, नया रायपुर, एमएम फन सिटी, महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय प्रमुख है।
रेलवे स्टेशन से बंजारी माता मंदिर की दूरी
राजधानी रायपुर में रायपुर बिलासपुर हाईवे में बीरगांव रावाभाठा के पास बंजारी माता का मंदिर है। रायपुर रेलवे स्टेशन से बंजारी माता मंदिर की दूरी करीब 7 किलोमीटर है। सड़क मार्ग द्वारा आसानी से राजधानी रायपुर स्थित बंजारी माता के मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। आप बस, कार, टैक्सी या स्वयं के वाहन से मंदिर तक पहुंच सकते हैं। रेल मार्ग की बात करें तो रायपुर छत्तीसगढ़ सहित देश के प्रमुख स्टेशनों से जुड़ा हुआ है। यहां के लिए आसानी से आपको ट्रेनें मिल जाएंगी। दूसरे राज्यों से आने वालों के लिए रायपुर एयरपोर्ट की सुविधा है, जो मुंबई, दिल्ली, विशाखापट्टनम और कोलकाता से डायरेक्ट जुड़ा हुआ है।
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