Baster me ghumne ki jagh | बस्तर में घुमने की जगह

इस पोस्ट में बस्तर में घूमने वाली जगहों की बात करेंगे। प्राकृतिक गुफा, सुंदर झरने, हरे-भरे पहाड़ और वनों के लिए बस्तर प्रसिद्ध है। यहां घूमने के लिए च

इस पोस्ट में बस्तर में घूमने वाली जगहों की बात करेंगे। प्राकृतिक गुफा, सुंदर झरने, हरे-भरे पहाड़ और वनों के लिए बस्तर प्रसिद्ध है। यहां घूमने के लिए चित्रकूट झरना, तीरथगढ़ जलप्रपात, कुटुमसर गुफा  और दलपत सागर झील प्रमुख है। 


यहां के झरनों के पास जाना और उन्हें नजदीक से देखना रोमांच से भरा है। बस्तर में इंद्रावती नदी बहती है। यहां के जंगलों में वनस्पतियों और जीवों की विभिन्न प्रजातियां पाई जाती हैं। 


विभिन्न जनजातियों की भी बड़ी आबादी रहती है। बस्तर की स्थापना 11वीं शताब्दी में नागवंशी राजाओं द्वारा की गई थी। दक्षिण कोशला के रूप में भी इसे जाना जाता है। 


भगवान श्री राम, भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ वनवास के दौरान यहां रहे थे। बस्तर खनिज संसाधनों के लिए भी जाना जाता है। यहां का दशहरा सबसे ज्यादा, 75 दिनों तक मनाया जाता है। दुनिया भर से लोग बस्तर दशहरा देखने के लिए आते हैं। अक्टूबर से मार्च तक का समय बस्तर घूमने के लिए अनुकूल है।


चित्रकूट झरना कैसे जाएं

चित्रकूट झरना का विहंगम दृश्य।

जगदलपुर से करीब 48 किलोमीटर की दूरी पर चित्रकूट झरना स्थित है। इसे छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े जलप्रपात के रूप में जाना जाता है। यह सबसे ज्यादा चौड़ा भी है। 


90 फीट की ऊंचाई से इसकी धारा नीचे की ओर गिरती है। यह जलप्रपात पर्यटकों को बहुत पसंद आता है। इसे भारत का नियाग्रा भी कहा जाता है। 


जगदलपुर से पास होने के कारण यहां पिकनिक मनाने के लिए बहुत सारे लोग आते रहते हैं। बरसात के दिनों में इसे देखना अपने आप में एक अलग अनुभव है। 


बरसात में जलप्रपात का पानी लाल रंग का हो जाता है। वहीं चांदनी रातों में यह बिल्कुल सफेद दिखाई देता है। तेजी से गिरते जलप्रपात को देखकर पर्यटक रोमांच से भर जाते हैं। 


रायपुर से कितने किलोमीटर की दूरी पर स्थित है चित्रकूट जलप्रपात

रायपुर से करीब 280 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चित्रकूट जलप्रपात सड़क मार्ग से जाया जा सकता है। रायपुर से ट्रेन की भी सुविधा है। रायपुर से प्लेन से भी जगदलपुर जाया जा सकता है।


तीरथगढ़ जलप्रपात कैसे जाएं

तीरथगढ़ जल प्रपात।

जगदलपुर से करीब 38 किलोमीटर की दूरी पर तीरथगढ़ जलप्रपात स्थित है। 300 फीट की ऊंचाई से गिरते इस जलप्रपात की खूबसूरती देखते ही बनती है।


इसे छत्तीसगढ़ का सबसे ऊंचा झरना है। कांगेर घाटी नेशनल पार्क में स्थित इस जलप्रपात के आसपास हरे भरे वन हैं। सीढ़ीनुमा पत्थरों से जलप्रपात का पानी नीचे की ओर गिरता है।


यहां घूमने के लिए सबसे अच्छा मौसम अक्टूबर से फरवरी का होता है। बारिश में जलप्रपात का रौद्र रूप दिखता है। बारिश में यहां फिसलन हो जाती है। इस दौरान जाने का प्लान करें को सावधानी ज्यादा रखें।


आपको नेचर से लगाव है तो यहां जरूर जाना चाहिए। सड़क मार्ग से यहां पहुंचा जा सकता है. नज़दीकी एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन जगदलपुर है।


कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान कैसे जाएं

जगदलपुर शहर से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान स्थित है। यहां के घने जंगलों में आप कई वन्यजीवों की प्रजातियों को देख सकते हैं।


इसमें बाघ, तेंदुआ, जंगली बिल्ली, चितल, भौंकने वाली हिरण, गीदड़, जंगली सूअर, मगरमच्छ, लोमड़ी  आदि शामिल हैं। यह उद्यान न सिर्फ वन्यजीवन बल्कि कई प्राकृतिक आकर्षणों के लिए भी जाना जाता है। 


कुटुमसर गुफा और कैलाश भी इसी उद्यान में स्थित है। यह नेशनल पार्क यहां की कोलाब नदी के पास स्थित है। इस पार्क की स्थापना 1982 में की गई थी।


सड़क मार्ग से यहां जाया जा सकता है। आस पास ज्यादा सुविधा नहीं है इस कारण जब भी यहां जाने का प्लान करें तो साथ में जरूरी चीजों को रख लें। खाने पीने की चीज़ें जरूर रखें।


कुटुमसर गुफा कैसे जाएं

कुटुमसर गुफा।

जगदलपुर से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में कुटुमसर गुफा स्थित है। इसकी गहराई जमीन से 60 से लेकर 125 फीट तक है। लंबाई करीब 4500 फीट है।


भारत में सबसे गहरी गुफा के रूप में इसकी पहचान है। भूगोल के प्रो. डॉ. शंकर तिवारी ने इसकी खोज 1950 के दशक में स्थानीय लोगों की मदद से की थी। कुटुमसर गांव के पास होने के कारण इस गुफा का नाम कुटुमसर गुफा पड़ा है।


बरसात में इसके अंदर पानी का बहाव तेज हो जाता है, इस कारण पर्यटकों को इसके अंदर नहीं जाने दिया जाता है। नवंबर से मई तक गुफा पर्यटकों के लिए खुली रहती है।


गुफा में अंधी मछली पाई जाती है। गुफा के अंदर जाते समय गाइड साथ रहते हैं। अंदर में घुप अंधेरा होता है जहां कुछ भी दिखाई नहीं देता।टॉर्च की मदद से पर्यटक अंदर देख पाते हैं।


गुफा के अंत में एक लाइम स्टोन शिवलिंग की आकृति में है। गुफा के अंदर संभल कर चलें। कहीं कहीं पर लटकते हुए स्टोन हैं जिनसे टकराने की संभावना बनी रहती है।


जब भी जाएं तो साथ में टॉर्च रख लें. इससे गुफा घूमने में आपको सुविधा होगी. गुफा में एंट्री फ्री नहीं है। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के गेट के पास टिकट मिलता है। सड़क मार्ग से गुफा तक पहुंचा जा सकता है। नजदीकी एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन जगदलपुर है। 


दलपत सागर झील कैसे जाएं

दलपत सागर झील।

छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी कृत्रिम झीलों में से एक दलपत सागर झील जगदलपुर शहर में स्थित है। करीब 350 हेक्टर में फैली इस झील का निर्माण राजा दलपत देव ककातिया ने करवाया था।


करीब 400 साल पहले बने इस झील का उपयोग वर्षा के पानी को जमा करना था। झील के बीच में एक टापू है। इस टापू पर स्थानीय देवी का एक प्राचीन मंदिर है।


मंदिर तक पहुंचने के लिए नाव की सुविधा है। कुछ वर्षों से पर्यटक यहां जाने लगे हैं और इसकी पहचान पर्यटन स्थल के रूप में होने लगी है। यहां देश सहित विदेशों से भी पर्यटक आते हैं। 


झील के बीच में स्थित टापू को आकर्षक बनाने के लिए प्राचीन मंदिर के पास लाइट हाउस और म्यूजिकल फाउंटेन बनाया गया है। घूमने के लिए यह शानदार जगह है। रायपुर से सड़क, ट्रेन और हवाई मार्ग से जगदलपुर पहुंचा जा सकता है।


बस्तर दशहरा की खासियत

बस्तर दशहर में रथ खींचते श्रद्धालू।

बस्तर दशहरा छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। 75 दिनों तक मनाया जाने वाले इस फेस्टिवल में हर दिन खास होता है। कई सालों से बस्तर के आदिवासी इसे मनाते चले आ रहे हैं।


दशहरे की विधिवत शुरुआत के लिए सबसे खास रस्म काछन गादी है। इसे निभाने के लिए पनिका जाति की कन्या उपवास रखती है। राजपरिवार के सदस्य राजमहल से पैदल चलकर काछनगुडी आते हैं और विधिवत बस्तर दशहरा मनाने की अनुमति लेते हैं।


माना जाता है कि बस्तर का दशहरा दुनिया का सबसे लंबा चलने वाला लोकपर्व है। इसमें दन्तेश्वरी देवी की पूजा-अर्चना की जाती है। इसके लिए जगदलपुर के दन्तेश्वरी मन्दिर में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। रायपुर से सड़क, ट्रेन और हवाई मार्ग से जगदलपुर पहुंचा जा सकता है।


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5 टिप्पणियां

  1. उपयोगी लेख
    1. Thank u sir
  2. Very nice 👏
    1. Thank u
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